तपती गर्मी में फैमिली संग ठंडी फिजाओं का मजा लेना हो तो इससे बेहतर कुछ नहीं
मुन्नार: नैसर्गिक सौंदर्य का आकर्षण
केरल के इडुक्की जिले में स्थित मुन्नार बेहद खूबसूरत हिल स्टेशन है। समर्स की छुट्टी में फैमिली के साथ ट्रिप की प्लानिंग कर रहे हैं, तो मुन्नार में वह सब कुछ है, जिसकी चाह सैलानियों और प्रकृति प्रेमी को होती है। दूर-दूर तक फैले खूबसूरत चाय के बागान, हरी-भरी घाटियां, वर्ष भर सुहाना मौसम, ऊंची-ऊंची चोटियां, अभयारण्य, प्राकृतिक खुशबू से भरी हवा के अलावा बाकी वह सब कुछ, जो फैमिली के साथ आपकी छुट्टियों को यादगार बना दे। यहां की लोकप्रियता का आलम यह है कि केवल देशी ही नहीं, बल्कि विदेशी पर्यटकों की संख्या भी हाल के वर्षो में तेजी से बढ़ी है। पूरी घाटी का सौंदर्य अविश्वसनीय है। यह केवल गर्मी से निजात पाने के लिए ही नहीं, बल्कि एडवेंचर की चाहत रखने वालों के लिए भी स्वर्ग की तरह है। यहां बड़ी संख्या में बाइकिंग और ट्रेकिंग ट्रेल्स के शौकीन भी आते हैं। यहां पक्षियों को देखना एक अनोखा अहसास होगा। वैसे, यह क्षेत्र कई प्रकार की दुर्लभ प्रजातियों का घर भी है। आप फैमिली के साथ इरवीकुलम नेशनल पार्क देख सकते हैं। यह मुन्नार का प्रमुख पर्यटन आकर्षण है। दक्षिण भारत की सबसे ऊंची चोटी, अनामुडी पीक इस पार्क के अंदर ही स्थित है। इसके अलावा, राजमाला नेशनल पार्क, न्यामक्कड़ व्यू प्वाइंट, चंदन वन, आनंद मद्दुपेट्टी डैम देखने लायक है। मुन्नार के आस-पास देवीकुलम लेक टाउन और मरयूर भी जा सकते हैं। खेतों में पसरी मसालों और चंदन की महक मन को मोह लेगी। यहां का मौसम बेहद खुशगवार रहता है। आपको जून-जुलाई में भी शॉल और गर्म कपड़ों की जरूरत पड़ सकती है। तापमान अधिकतम 25-26 डिग्री तक जाता है। नजदीकी एयरपोर्ट कोच्चि 120 किमी. दूर और थेनी रेलवे स्टेशन 60 किमी. दूर स्थित है। दिल्ली से कोच्चि तक हवाई जहाज से जा सकते हैं।
लद्दाख: भारत का मिनी तिब्बत
सुंदर झीलों, आकर्षक मठ, मन को सम्मोहित कर देने वाले दृश्य, बर्फ से ढकी और आसमान को छूती पहाड़ की चोटियों के बीच फैमिली के साथ बिताए गए एक-एक पल को ताउम्र भूल नहींपाएंगे। ऐसी ही खूबसूरत जगह है-लद्दाख, जो जम्मू-कश्मीर का मशहूर पर्यटन स्थल है। यह कराकोरम और हिमालय के बीच समुद्र की सतह से करीब 3500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। इसके पूर्व में तिब्बत के पठार, तो उत्तर में मध्य एशिया, पश्चिम में कश्मीर है, तो दक्षिण में लाहौल स्पीति की घाटियां हैं। इसे मिनी तिब्बत भी कहा जाता है। लद्दाख में लेह और कारगिल दो बडे़ शहर हैं। यहां की मशहूर पैन्गोंग झील का सौंदर्य देखते ही बनता है। ‘लेह’ के अलावा, अलची, नुब्रा घाटी, जांस्कर घाटी, पैन्गोंग त्सो आदि दर्शनीय स्थल हैं। हेमिस मठ, शंकर गोम्पा, माथो मठ, शे गोम्पा, हिक्से मठ और समो मठ भी देखने लायक हैं। यह इलाका ट्रेकिंग और राफ्टिंग के लिए भी काफी लोकप्रिय है। दुनिया की सबसे ऊंचाई पर स्थित सड़कों के अलावा, इस इलाके में सात हजार मीटर से ऊंची कई चोटियां हैं। लद्दाख की सैर के लिए मई से सितंबर का समय उपयुक्त है। इस दौरान यहां का मौसम सुहाना रहता है। आप यहां आकर खुद को तरोताजा महसूस करेंगे। लेह के लिए दिल्ली, जम्मू और श्रीनगर से सीधी उड़ानें हैं। लेह जाने के दो रास्ते हैं। एक श्रीनगर से 434 किलोमीटर और दूसरा मनाली से 473 किलोमीटर है। दोनों रास्ते जून से नवंबर तक ही खुले रहते हैं। साल के बाकी समय आप वायु मार्ग का इस्तेमाल कर सकते हैं।
नैनीताल: झीलों का शहर
फैमिली के साथ सुकून के पल गुजारने के लिए नैनीताल से बेहतर और क्या हो सकता है। यहां की हरी-भरी घाटी, झीलें, ऊंची-ऊंची पहाड़ियां, जंगल और प्रकृति के मनोहारी दृश्य बरबस ही सैलानियों को आकर्षित करते हैं। यह झीलों के शहर के नाम से भी मशहूर है। यहां के नैनी झील की खूबसूरती का कहना ही क्या! यहां का दृश्य सम्मोहित कर देने वाला है। झील के पानी में जब सुबह की किरणें पड़ती हैं, तो इसका सौंदर्य देखने लायक होता है। यहां आप फैमिली के साथ बोटिंग को भी एंच्वॉय कर सकते हैं। आस-पास देखने लायक ऐसी बहुत सारी जगहें हैं, जो मन मोह लेंगी। नैनीताल से लगभग 10 किमी. दूर सुंदर ‘किलबरी’ मशहूर पिकनिक स्पॉट है। हरे-भरे ओक, पाइन और रोडोडेंड्रन से भरे जंगल इसे और खूबसूरत बनाते हैं। ‘खुर्पाताल’ झील के सम्मोहित कर देने वाले दृश्यों का आनंद लेने के लिए ‘लैंड्स एंड’ सबसे सही जगह है। वहीं ‘स्नो-व्यू’ तक पहुंचने के लिए रोपवे की मदद ले सकते हैं। नैनीताल की ‘नैना पीक’ सबसे ऊंची चोटी है। यहां का ईको केव गार्डन भी लोकप्रिय पर्यटक आकर्षण है। इसके अलावा, राजभवन, चिड़ियाघर, सेंट जॉन चर्च, पंगोट आदि यहां के अन्य पर्यटन आकर्षण हैं। गुर्ने हाउस, गुआनो हिल और अरबिंदो आश्रम भी देखने लायक हैं। नैनीताल के अलावा, आप यहां से करीब 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित रानीखेत की सैर पर भी जा सकते हैं। यह खूबसूरत हिल स्टेशन है। नैनीताल देश के प्रमुख शहरों से रेल और बस सेवा से जुड़ा है। यह दिल्ली से 310 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। काठगोदाम रेलवे स्टेशन नैनीताल से 35 किलोमीटर की दूरी पर है। कई बड़े शहरों मसलन, दिल्ली, देहरादून, लखनऊ आदि से यह ट्रेन मार्ग से जुड़ा है। नजदीकी हवाई अड्डा पंत नगर 71 किमी. दूर है। यहां से दिल्ली के लिए उड़ानें हैं।
कलिम्पोंग: फूलों की वादियां
हवाओं के मंद झोंकों के साथ अठखेलियां करते ऊंचे पेड़, पहाड़ी नदियां और ऑर्किड के फूलों के बीच फैमिली के साथ समर्स की छुट्टियों का आनंद उठाना चाहते हैं, तो कलिम्पोंग की खूबसूरत वादियों से सम्मोहित हुए बिना नहीं रह पाएंगे। यहां ऐसा लगता है मानो कुदरत ने खुद इसे फूलों का हार पहना रखा हो। यह पश्चिम बंगाल में तीस्ता नदी के किनारे दार्जिलिंग से करीब 51 किमी. दूर 4100 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। डेलो, दुर्पीन, रेलीपाला, लोलेगांव, कफेर, लाभा आदि को देख कर लगता है कि प्रकृति ने इसे बड़ी फुरसत से तराशा होगा। सैलानियों को कफेर से दिखाई देने वाला सूर्योदय का मनोरम दृश्य खूब पसंद आता है। इसके अलावा, मोनेस्ट्री और चर्च की सैर भी आपको पसंद आएगी। आमतौर पर यहां गर्मी में भी तापमान 25-26 डिग्री तक ही पहुंच पाता है। मौसम सालभर सुहाना बना रहता है। नजदीकी एयरपोर्ट और रेलवे स्टेशन बागडोगरा एयरपोर्ट 70 किमी., न्यू जलपाइगुड़ी 70 किमी. दूर है। यह सिलिगुड़ी, कोलकाता, गुवाहाटी, पटना आदि से सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है।
कसौली: गर्मी में एडवेंचर का मजा
मन को सुकून पहुंचाने वाली भरपूर प्राकृतिक सौंदर्य से रूबरू होने की चाहत रखने वाले सैलानियों के लिए हिमालच प्रदेश का कसौली जन्नत से कम नहीं है। यह समुद्र तल से करीब 1927 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। फूलों की खुशबू से महकती हरियाली, बर्फ से लदे पहाड़, खूबसूरत घाटियां, कल-कल बहती नदियां, पहाड़ों से निकलकर झूमते झरने और हॉट वॉटर स्प्रिंग्स सैलानियों को लुभाने का दम रखते हैं। वैसे, तो हिमाचल प्रदेश में एक से बढ़कर एक पर्यटन स्थल है, जैसे- शिमला, कांगड़ा,चंबा, चैल,पालमपुर, कुल्लू, धर्मशाला, डलहौजी आदि, लेकिन कसौली की बात ही कुछ और है। यहां के दिलकश माहौल में ट्रेकिंग, फिशिंग, पैराग्लाइडिंग, आइस स्केटिंग और गोल्फ जैसे एडवेंचर्स स्पोर्ट्स का मजा ही कुछ और है। कसौली भारतीय सेना के छावनी शहर के रूप में भी मशहूर है। सेंट्रल रिसर्च इंस्टीट्यूट, कसौली क्लब और लॉरेंस स्कूल कसौली के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल हैं। आप मंकी प्वाइंट, कसौली भट्टी, बाबा बालक नाथ मंदिर, क्राइस्ट चर्च, गोरखा फोर्ट आदि की सैर भी कर सकते हैं। यहां का निकटतम हवाई अड्डा चंडीगढ़ है, जो करीब 65 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। निकटतम रेलवे स्टेशन कालका रेलवे स्टेशन है, जो कसौली से लगभग 37 किलोमीटर की दूरी पर है। अप्रैल से सितंबर के बीच का मौसम काफी खुशगवार होता है।
वायनाड: अछूता सौंदर्य
दक्षिण भारत में गर्मी की छुट्टियों को एंच्वॉय करने के लिहाज से वायनाड परफेक्ट डेस्टिनेशन है। समुद्र तल से करीब 2100 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यहां का कुदरती सौंदर्य आज भी अछूता है और सैलानियों के बीच तेजी से लोकप्रिय होता पर्यटन स्थल है। हरी-भरी वनस्पति के साथ धुंध से भरी पहाड़ियां और यहां की ताजी हवा अविस्मरणीय अहसास देती है। खूबसूरत पहाड़ी ढलानों और घने जंगलों के मध्य कई शानदार रिसॉर्ट्स हैं, जहां आयुर्वेदिक मालिश एवं स्पा की सुविधाएं उपलब्ध हैं, जो मन और शरीर को तरोताजा कर सकते हैं। ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत समेटे यह इलाका वाइल्डलाइफ से भरपूर है। गहरी घाटियां खूबसूरत लगती हैं। यहां एडक्कल गुफाएं, थिरूनली मंदिर, पाकशिपथलम मकबरा, पजीहस्सी राजा का मकबरा, मीनमुट्ठी जलप्रपात, पुकूट झील की सैर आपको पसंद आएगी। नजदीकी एयरपोर्ट और स्टेशन कोझिकोड है, जो करीब 25 किमी.दूर है। यह केरल के तमाम इलाकों से सड़क मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा है। नेशनल हाइवे 17 इसे दूसरे इलाकों से जोड़ता है।
धर्मशाला: लामाओं की भूमि
ओक, शंकुधारी पेड़ों के जंगल और धौलाधार श्रेणियों से घिरे धर्मशाला का नैसर्गिक सौंदर्य सैलानियों को हमेशा से लुभाता रहा है। यह हिमाचल प्रदेश का प्रमुख पर्यटन स्थल है। गर्मी में भी यहां का मौसम काफी दिलकश होता है। चाय बागान, चीड़ के जंगल, देवदार के पेड़, ऊंचे-ऊंचे पहाड़ और इस सब से बढ़कर यहां का मौसम आपकी छुट्टियों को यादगार बना देगा। यह शहर दो क्षेत्रों में बंटा हुआ है अपर धर्मशाला और लोअर धर्मशाला। यह ‘छोटा ल्हासा’ और ‘लामाओं की भूमि’ के रूप में भी मशहूर है। यहां हिंदू, जैन मंदिरों के साथ मठ और शिक्षण केंद्र भी देख सकते हैं। मंदिरों की बात करें, तो च्वालामुखी, ब्रजेश्वरी और चामुंडा मंदिर बड़ी संख्या में सैलानियों को आकर्षित करते हैं। इसके अलावा, कांगड़ा आर्ट म्यूजियम, सेंट जॉन चर्च और वॉर मेमोरियल देखने लायक है। कोतवाली बाजार में शॉपिंग भी एंच्वॉय कर सकते हैं। वहीं मैक्लोडगंज में भगवान बुद्ध की विशाल प्रतिमा सैलानियों को खूब पसंद आती है। करेरी झील के आस-पास देवदार के पेड़ और हरियाली ट्रेकिंग के शौकीनों की पसंद आ सकती है। धर्मशाला के मुख्य बस अड्डे से करीब तीन किमी. की दूरी पर स्थित कुनाल पथरी ज्यादातर पर्यटक पैदल घूमते हुए आना पसंद करते हैं। यहां का मुख्य आकर्षण रॉक मंदिर है। धर्मशाला का नजदीकी हवाई अड्डा गग्गल है, जो यहां से करीब 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां का निकटतम प्रमुख रेलवे स्टेशन पठानकोट है, जो करीब 85 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।