July 7, 2024     Select Language
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मधुमेह से बढ़ा इस अल्सर का खतरा

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कोलकाता टाइम्स :

धुमेह बीमारी सिर्फ लीवर व किडनी को ही नहीं बल्कि पैरों के लिए भी खतरनाक है। मधुमेह रोगियों में फुट अल्सर का खतरा तेजी से बढ़ रहा है। पैरों को विकलांग बना देने वाली इस खतरनाक बीमारी की शुरूआत हाथ व पैरों में संवेदनहीनता से होती है जिसे नजरअंदाज करना काफी खतरनाक है। इस रोग में संक्रमित अंग को काटने तक की नौबत आ सकती है। आमतौर पर लोग सोचते हैं कि मधुमेह रोगियों को ह्दयाघात अथवा किडनी फेल होने का खतरा अधिक होता है लेकिन चिकित्सकों के अनुसार मधुमेह शरीर के कई अंगों को प्रभावित करता है।

चिकित्सकों का कहना है कि मधुमेह से पीडि़त मरीजों की रक्त धमनियां संकरी हो जाती है जिससे रक्त प्रवाह अपेक्षाकृत मंद गति से होता है। इसअवस्था को डायबिटिक एथेरोस्कोरोसिस कहते हैं और स्पर्श वाली नसों में भी रक्त प्रवाह की कमी से बदलाव आता है जिससे हाथ पैरों में झन्नाहट और सुन्न पडऩे का अनुभव होता है, इसे डायबिटिक पेरीफेरल न्यूरोपैथी कहा जाता है।

चिकित्सकों के मुताबिक दबाव के कारण शरीर के ऊपरी भाग में रक्त प्रवाह में अधिक असर नही पड़ता लेकिन पैरों को जाने वाली नसों में रक्त की गति काफी धीमी हो जाती है जिससे उस जगह की मांस पेशियां सिकुड़ जाती है और गलने लगती है। उन्होंने बताया कि इस स्थिति में हल्की सी धमक या चोट से मांसपेशियां फट जाती है जिसका आमतौर पर मरीज को पता नहीं चलता। खून में समुचित मात्रा से अधिक शर्करा का स्तर होने से उस जगह का मांस धीरे-धीरे सडऩे लगता है और वह पैर के चोटिल भाग की हड्डी को भी गलाने लगता है। चिकित्सक ने बताया कि ऐसे में यदि मरीज किसी कारणवश पैर में चोट का शिकार होता है तो यह कोढ़ में खाज का काम करता है। घाव न भरने से इसमें संक्रमण तेजी से फैलता है और संक्रमित हिस्से के बचाव की संभावनायें भी क्षीण होने लगती है। उन्होंने बताया कि इस रोग की चपेट में आये मरीज को शुरू में पैरों में सुन्नता अथवा झन -झनाहट महसूस होती है ऐसे में यदि तुरंत चिकित्सा सुविधा मिल जाये तो शारीरिक विकलांगता के खतरे से काफी हद तक निपटा जा सकता है।

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