November 23, 2024     Select Language
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इस पेड़ को जल चढ़ाना केवल एक प्रथा नहीं बल्कि तरक्की ही तरक्की …

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कोलकाता टाइम्स :

भारतीय संस्कृति में वृक्षों को पूजना एक परंपरा रही है। वृक्षों में देवताओं का वास मान सदियों से भारतीय लोग तमाम वृक्षों को जल चढ़ाने और संरक्षित करने का काम करते आए हैं। कुछ वृक्ष और पौधे तो साक्षात भगवान का रूप ही माने जाते हैं।

यह भी माना जाता है कि इन वृक्षों और पौधों को पूजने से भगवान की पूजा के समान ही फल मिलता है। ऐसे परम पूज्य पौधों में विशेष स्थान है पीपल का। आपने सुबह या शाम को पीपल की जड़ में जल चढ़ाते कई लोगों को देखा होगा। पीपल में त्रिदेवों और नवग्रहों का वास माना गया है। इसलिए पीपल को चमत्कारिक वृक्ष कहते हैं।

आइये, जानते हैं पीपल की शक्तियों के बारे में

प्रसन्न होते हैं बृहस्पति

पीपल के वृक्ष के कई ज्योतिषीय गुण बोध माने गए हैं। पीपल को बृहस्पति ग्रह से जोड़ा जाता है। माना जाता है कि पीपल का बृहस्पति से सीधा संबंध होता है। बृहस्पति को सभी ग्रहों में सबसे अधिक लाभ देने वाला ग्रह माना जाता है। बृहस्पति धन का कारक ग्रह है। बृहस्पति जब भी किसी की कुंडली में प्रवेश करते हैं, उस व्यक्ति को पीपल की जड़ में जल चढ़ाने को कहा जाता है। माना जाता है कि पीपल में जल चढ़ाने से कुंडली में मौजूद कमजोर बृहस्पति मजबूत होता है और मजबूत बृहस्पति समृद्ध।

शनि देता है शुभ परिणाम

पीपल में शनि देव का वास भी माना गया है। जब शनि विपरीत परिणाम दे रहा हो, शनि की साढ़े साती हो या कुंडली में शनि खराब स्थिति में हो तो शनिवार को पीपल वृक्ष की जड़ में तांबे के कलश में शुद्द जल, कच्चा दूध और बताशा डालकर चढ़ाया जाता है। इससे शनि की पीड़ा समाप्त होती है और धनागम के द्वार खुलते हैं।

श्रीकृष्ण का प्रिय वृक्ष

माना जाता है कि पीपल के वृक्ष पर त्रिदेवों का वास होता है। इसके साथ ही एक मान्यता यह भी है कि पीपल पर अच्छी और बुरी दोनों तरह की आत्माओं का वास होता है। गीता में श्री कृष्ण ने भी स्वयं को वृक्षों में पीपल की तरह बताया है। कुल मिलाकर पीपल में अनेकानेक श्रेष्ठ शक्तियों का वास होता है और इसकी नियमित पूजा से स्वयं ईश्वर पूजा का फल मिलता है। पीपल पर जल चढ़ाने से कुंडली में वक्री चल रहे सभी ग्रहों की शांति होती है और उनके द्वारा दी जा रही पीड़ा में कमी आती है। पीपल को जीवित देव माना जाता है और किसी भी मूर्तिपूजा के स्थान पर इसे पूजने से कम समय में अधिक लाभ की प्राप्ति होती है। पूजा के किसी भी प्रकार से बढ़कर पीपल को जल चढ़ाने मात्र से कहीं जल्दी और ज्यादा प्रभावी परिणाम प्राप्त होते हैं।

पूजा करने के भी कई तरीके

पीपल की पूजा करने के भी कई तरीके होते हैं। पीपल की जड़ों में सुबह के समय जल चढ़ाना सबसे आम है। यह याद रखें कि पीपल के वृक्ष में कभी भी दोपहर या शाम के समय जल ना चढ़ाएं। पीपल की पूजा का दूसरा तरीका इसके नीचे शाम के समय घी का दीपक लगाना है। कुंडली में अगर अष्टम घर में बृहस्पति का प्रवेश होता हो, तो जातक को शाम के समय पीपल के वृक्ष की जड़ में दूध- पानी का मिश्रण चढ़ाने की सलाह दी जाती है।एक बात और जानने योग्य है कि पीपल देव वृक्ष है, इसीलिए यह लगाने पर नहीं लगता। यह अपनी इच्छा से कहीं भी जड़ पकड़ता है।

ज्योतिष शास्त्र

  • ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पीपल का पेड़ यथासंभव इसके स्थान से हटाया या काटा नहीं जाना चाहिए।
  • पीपल की पूजा से कार्यों और विचारों में स्थिरता आती है, मन का भटका रूकता है।
  • पीपल की पूजा से व्यक्ति की तार्किक क्षमता में वृद्धि होती है।
  • पीपल की पूजा से विवाह में आ रही बाधाओं का निवारण होता है और विवाह शीघ्र संपन्न होता है।
  • पीपल का आशीर्वाद संतान जन्म को सरल, संभव बनाकर वंश वृद्धि में सहायता होता है।
  • पीपल की पूजा से व्यक्ति में दान- धर्म की प्रवृत्ति बढ़ती है।
  • पीपल की पूजा से आय का प्रवाह आसान बनता है और धनप्रवृति की कई राहें खुलती हैं।
  • पीपल की पूजा व्यक्ति की बुद्धिमतता बढ़ाती है और उसे दीर्घायु बनाती है।

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