November 23, 2024     Select Language
Editor Choice Hindi KT Popular धर्म

मौत के 18 साल बाद दुल्हन बनी बेटी, हुई बिदाई 

[kodex_post_like_buttons]
कोलकाता टाइम्स :
से अंधविश्वास कहे या फिर प्राचीन परंपरा, उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में नटबाजी समाज में पुरानी परंपराओं को लोग अभी भी मानते हैं। यहां मृत बच्चों की शादी भी धूमधाम से करने का अनोखा रिवाज है।

मीरपुर के रामेश्वर ने 18 साल पूर्व मरी अपनी बेटी पूजा की शादी हरिद्वार के एक गांव में रहने वाले तेजपाल के मृत बेटे के साथ हिन्दू रीति-रिवाज से सम्पन्न की।

इस समुदाय में ये परंपरा पुरखों के जमाने से ही चली आ रही है। यहां दूल्हा-दुल्हन के प्रतीक के तौर पर गुड्डा-गुडिय़ा बनाए जाते हैं। बाल विवाह का विरोधी यह गांव बच्चों के मरने के बाद भी उनके बालिग होने पर ही उनका ब्याह रचाता है। यहां मान्यता है कि ऐसा करने से उनकी मृत संतान भी अविवाहित नही रहती।

बारात मृत कन्या पक्ष के दरवाजे बैंड बाजे के साथ आती है और शादी की सभी रस्में पूरी की जाती हैं, साथ ही अपनी सामथ्र्य के अनुसार वर पक्ष को दान-दहेज भी दिया जाता है।

रामेश्वर की बेटी पूजा कि करीब 18 साल पहले 2 वर्ष की उम्र में ही मौत हो गयी थी। उसने बड़ी मुश्किल से हरिद्वार के गाधारोना गांव में तेजपाल के घर मृत दूल्हे की तलाश की। शादी समारोह हिन्दू रीति-रिवाज से संपन्न किया गया और बेटी की विदाई भी हो गई है। करीब चार दर्जन बाराती बारात लेकर आए थे। जिनकी सामथ्र्य अनुसार आव-भगत की गई है।

रामेश्वर के अनुसार यह पुरानी परंपरा है जिसे हमारा समाज अभी भी निभा रहा है। मैं अपनी मृत बेटी का विवाह कर ऋण मुक्त हो गया हूं।

Related Posts