July 2, 2024     Select Language
Editor Choice Hindi KT Popular सफर

सौंदर्य और शांति दोनों का लुफ्त उठाना हो तो चले जाइये यहां 

[kodex_post_like_buttons]
कोलकाता टाइम्स :
केरल की राजधानी तिरुअनंतपुरम हम सुबह जल्दी ही पहुंच गए थे। शहर का मनोहारी सौंदर्य तो किसी का भी मन मोह लेने में सक्षम है और इसका विहंगम दृश्य तो बेहद आकर्षक। चूंकि हम समय से पहुंच गए थे, इसलिए निश्चित कार्यक्रम को तोड़कर थोड़ा ज्यादा घूम लेने मोह छोड़ा नहीं जा सकता था। एयरपोर्ट से होटल पहुंचने के बीच रास्ते में ही मैंने ये तय कर लिया कि वहां से फटाफट तैयार होकर निकल चलना है। तय कार्यक्रम के अनुसार हमें सबसे पहले स्वामी पद्मनाभ मंदिर में भगवान का दर्शन करना था और इसके बाद कोवलम बीच के लिए निकलना था। हम फटाफट तैयार होकर स्वामी पद्मनाभ मंदिर निकल पड़े। मंदिर का सौ फुट ऊंचाई वाला भव्य गोपुरम दूर से ही दिखाई दे जाता है। दर्शन के लिए यहां कड़े नियम हैं, जिनका पालन हरेक को करना ही होता है। हमने भी उन नियमों का पालन करते हुए दर्शन किए और वापस होटल की ओर लौट गए। बताया जाता है कि यह मंदिर पांच हजार साल पुराना है और यह विश्व का सबसे धनी मंदिर भी है। आज भी यहां सबसे पहली पूजा राजपरिवार के लोग ही करते हैं।
थोड़ी देर आराम और नाश्ते के बाद हम अपने अगले सफर पर निकल पड़े। तिरुअनंतपुरम शहर से केवल 30 किलोमीटर की ही दूरी पर कोवलम बीच है। दोनों तरफ नारियल के पेड़ों से घिरे केरल के सड़क मार्ग भी इतने सुंदर हैं कि जिधर भी देखें उधर से नजर हटाने का मन नहीं करता। इसे गॉड्स ओन कंट्री यानी भगवान का अपना घर क्यों कहा जाता है, यह बात एकदम साफ तौर पर जाहिर हो जाती है- कोवलम बीच पहुंच कर। अरब सागर के इस तट पर हरियाली, रेत और अथाह जलराशि के साथ-साथ शांति का जैसा संगम है, वह बहुत कम सागरतटों पर ही मिलता है। यह एहसास भरपूर बटोर लेने के लिए हम देर तक वहां घूमते रहे। थोड़ी रात होने पर हमें लौटने का खयाल आया और हम तेजी से वापस अपने होटल की ओर पूवर लौट चले। पूवर की खूबी यह है कि यहां आप बैकवॉटर और समुद्र दोनों के ही सुंदरतम दृश्य का आनंद एक साथ उठा सकते हैं।
अगले दिन हमें सुबह ही कुमारकोम के लिए निकलना था। यह तिरुअनंतपुरम से 94 किलोमीटर दूर है। यही वह जगह है, जो केरल को कई और जगहों से अनूठा बनाती है। इसकी असली खासियत बैकवॉटर्स हैं। बैकवॉटर्स समुद्र का वह पानी है, जो वापस मुख्य भूमि की ओर लौटता है। कई जगह ये बड़ी झील का रूप अख्तियार कर लेता है। समुद्र से झील तक के बीच का यह पूरा हिस्सा दूर से देखने पर द्वीप जैसा नजर आता है। बैकवॉटर्स में कई अलग तरह की वनस्पतियां भी पाई जाती हैं। इन्हें मैंनग्रूव्ज के नाम से जाना जाता है। बैकवॉटर्स के कारण ही केरल विदेशी पर्यटकों के आकर्षण का एक बड़ा केंद्र बना हुआ है। इसी बैकवॉटर्स पर कश्मीर की डल झील जैसे हाउसबोट भी चलते हैं। विदेशी सैलानियों की यह खास पसंद हैं। वैसे कई देसी लोग भी इसका मजा लेने से नहीं चूकते। वेंबनाड झील शहर से करीब 45 किलोमीटर दूर है। समुद्र से आया यह सारा खारा पानी उसी झील में जाता है। हम जिस वक्त वेंबनाड पहुंचे लगभग दोपहर हो गई थी। दक्षिण भारत में यह ऐसा समय होता है, जब तेज धूप के कारण कहीं बाहर निकल पाना बहुत मुश्किल हो जाता है। यहां से हमें मुन्नार निकलना था। मुन्नार एक हिल स्टेशन है और वहां मौसम आम तौर पर सुहावना रहता है। यहां बेशुमार टी गार्डेन तो हैं ही, साथ ही कई दर्शनीय स्थल भी हैं। वहां हम दो दिन ठहरे।
अगली सुबह हम जल्दी ही गुरुवायूर के लिए निकल पड़े। यह त्रिचूर जिले में है। मुन्नार से इसकी दूरी करीब 200 किलोमीटर है। यहां का गुरुवायूर मंदिर बहुत प्रसिद्ध है। यह भगवान श्रीकृष्ण का मंदिर है। नियम यहां भी बहुत सख्त हैं। सुबह और शाम के समय मंदिर खुलने से पहले यहां के मुख्य पुजारी हाथी से पूरे मंदिर की परिक्रमा करते हैं। यहां का ड्रेस कोड भी बहुत कड़ा है। पुरुष यहां केवल लुंगी पहन कर ही भगवान के दर्शन के लिए जा सकते हैं। स्त्रियां भी साड़ी-धोती आदि पहनकर ही अंदर जा सकती हैं। दर्शन करने में थोड़ा समय तो लगा, लेकिन मंदिर की व्यवस्था और अनुशासन वाकई प्रशंसनीय लगा।

Related Posts