राजकपूर की मुँह पर ‘ना’ कहना इस एक्ट्रेस असली पहचान
रजनीगंधा’ और ‘छोटी सी बात’ जैसी उनकी फ़िल्म आज भी जब कभी टीवी पर दिखाया जाता है तो दर्शक रिमोट उठा कर किनारे रख देते हैं। दरअसल, इन फ़िल्मों में प्रेम को जिस तरह से दर्शाया गया है वो बरबस ही आपके जीवन का हिस्सा लगने लगता है। ये फ़िल्में अमोल पालेकर और विद्या सिन्हा की यादगार फ़िल्मों में से हैं।
क्या आप जानते हैं विद्या सिन्हा मिस बॉम्बे भी रह चुकी हैं और उसके बाद उनका मॉडलिंग और अभिनय का सफ़र शुरू हुआ। विद्या ने ‘राजा काका’ (1974) से फ़िल्मों में डेब्यू किया। इस फ़िल्म में उनके हीरो थे किरण कुमार। लेकिन, उन्हें पहचान मिली ‘रजनीगंधा’ (1974) से। उसके बाद के दस सालों में उन्होंने 30 फ़िल्में और कीं। लेकिन, बाद में विद्या की इमेज के किरदारों की मांग जैसे बॉलीवुड से ख़त्म होती गई और फिर विद्या ने चुपचाप एक्टिंग से किनारा कर लिया।
विद्या बालन की ज़िंदगी से जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा यह भी है कि दिग्गज अभिनेता और निर्माता निर्देशक राज कपूर अपनी फ़िल्म ‘सत्यम शिवम सुंदरम’ में विद्या को लेना चाहते थे। लेकिन, विद्या ने राज कपूर को इस फ़िल्म में मौजूद दृश्यों के चलते ना बोल दिया था! उस ज़माने में राजकपूर को मना करना अपने आप में एक बड़ी बात थी। विद्या ने खुद कहा है, “मैंने राज कपूर जी को मना किया और इसका मलाल मुझे आज भी है लेकिन, मैं उन कपड़ो में कंफ़र्टेबल नहीं थी जो ज़ीनत ने उस फ़िल्म में पहने थे।”
शादी के बाद कई अभिनेत्रियों के कैरियर पर ब्रेक सा लग जाता रहा है तो आपको हम बता दें कि विद्या सिन्हा फ़िल्मों में आने से पहले ही साल 1968 में शादी कर चुकी थीं। उन्हें अपने एक पड़ोसी वेंकटेश्वरन अय्यर से प्यार हुआ और फिर शादी भी हो गयी। दोनों की कोई संतान नहीं थी तो इस जोड़ी ने साल 1989 में एक बच्ची को गोद ले लिया।
साल 1996 में विद्या के पति का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। वो तब ऑस्ट्रेलिया में थीं! साल 2001 में विद्या ने ऑस्ट्रेलिया के एक भारतीय मूल के डॉक्टर भीमराव सालुंके से दूसरी शादी की। लेकिन, इस शादी ने उन्हें बहुत जख्म दिए। पति की प्रताड़ना से तंग आकर उन्होंने डिवोर्स ले लिया।
इस बीच उन्हें छोटे पर्दे पर काम मिलने लगा और टीवी धारावाहिकों में एक्टिंग के माध्यम से उन्होंने फिर से एक नयी शुरुआत की है।
फिर साल 2019 में बीमारी के चलते उनका निधन हो गया