July 1, 2024     Select Language
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घर में सुख, शांति और खुशहाली लाता है यह व्रत

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कोलकाता टाइम्स :
हिंदू पौराणिक ग्रंथों में बुधवार का दिन बुधदेव के व्रत के लिए सुनिश्चित किया गया है। बुधदेव ही बुधवार के अधिपति माने जाते हैं। उनके साथ ही बुधवार का दिन गणपति का भी माना जाता है। गणपति प्रथम पूज्य देव हैं और उनके दिन को हर काम शुरू करने के लिए सबसे शुभ माना जाता है। हर तरह के मंगल करता है मंगलवार का व्रत, जानिए व्रतकथा आमतौर पर हर हिंदू बुधवार के दिन कोई भी काम भगवान गणेश का नाम लेकर इस आशा से ही शुरू करता है कि विघ्नहर्ता उसके मार्ग के सब विघ्न हर लेंगे। इसी तरह माना जाता है कि भगवान बुधदेव भी इस व्रत के व्रती की हर बाधा से रक्षा करते हैं और उसे सर्व सुख प्रदान करते हैं।
आइए आज बुधदेव की पूजा अर्चना की विधि और कथा सुनते हैं- 
एक बार की बात है। एक व्यक्ति अपनी पत्नी को लेने के लिए अपनी ससुराल गया। वहां कुछ दिन रहने के बाद उसने अपने सास- ससुर से पत्नी को विदा करने की बात कही। उसके ससुराल वालों ने यह कहकर विदाई से मना कर दिया कि आज बुधवार का दिन है। आज के दिन बुधदेव की पूजा करने के बाद आरती कर, प्रसाद लेकर ही कहीं जाना चाहिए। बीच में जाना अशुभ होता है। इसीलिए आप आज ना जाएं, कल विदाई कर देंगे। वह व्यक्ति ऐसी बात सुनकर नाराज हो गया और हठ करके अपनी पत्नी को लेकर चल पड़ा।
पत्नी को जोर से प्यास लगी 
रास्ते में उसकी पत्नी को जोर से प्यास लगी। वह व्यक्ति अपनी पत्नी को रथ में छोड़कर स्वयं पानी लाने चला गया। जब वह पानी लेकर लौटा, तो उसने देखा कि उसके ही समान दिखने वाला, उसकी ही वेशभूषा वाला व्यक्ति रथ पर उसकी पत्नी के साथ बैठा है। वह क्रोध में उबलता हुआ आया और उस व्यक्ति से पूछने लगा कि तू कौन है और मेरी पत्नी के पास बैठने का साहस तूने कैसे किया?
मैं अपनी पत्नी के साथ बैठा हूं। 
दूसरा व्यक्ति बोला कि मैं अपनी पत्नी के साथ बैठा हूं। मैं इसे अभी विदा कराके ला रहा हूं। इस बात पर दोनों व्यक्तियों में लड़ाई होने लगी और इसी समय राजा के सैनिक आकर उन दोनों को पकड़ने लगे। सारी बात जान उन्होंने स्त्री से पूछा कि तुम्हारा असली पति कौन है? वह स्त्री चुप रह गई क्योंकि वह भी समझ नहीं पा रही थी कि किसे अपना पति बताए।
इस लीला से मेरी रक्षा करो 
इस विचित्र स्थिति को देखकर वह व्यक्ति व्यथित होकर ईश्वर को पुकारने लगा कि इस लीला से मेरी रक्षा करो। इस पर आकाशवाणी हुई कि मूर्ख! आज बुधवार के दिन तुम्हें गमन नहीं करना था। तुझे सबने रोका, पर तूने किसी की बात ना मानी। इससे भगवान बुधदेव तुझसे रूष्ट हुए हैं। यह सब लीला उन्हीं की है। आकाशवाणी से जानकारी पाकर उस व्यक्ति ने तुरंत ही भगवान बुधदेव से क्षमा मांगी और व्रत का संकल्प लिया। इसके साथ ही वह दूसरा व्यक्ति गायब हो गया। इसके बाद घर पहुंचकर उस व्यक्ति ने पत्नी समेत बुधवार का व्रत रखना प्रारंभ कर दिया और विधिपूर्वक पूजा करने लगा। इससे उसके जीवन के सारे कष्ट मिट गए और वे दोनों सुख पूर्वक जीवन व्यतीत करने लगे।
व्रत की विधि 
बुधवार का व्रत ग्रहशांति के लिए सबसे अधिक प्रभावी माना जाता है। इस व्रत को करने वाले सभी ग्रहों की कुदृष्टि से बचे रहते हैं और जीवन के सारे सुख प्राप्त करते हैं। इस व्रत में हरी वस्तुओं का प्रयोग करना श्रेष्ठ माना जाता है। इस व्रत में दिन- रात में एक ही बार भोजन करना चाहिए। व्रत के अंत में भग��ान शंकर की पूजा धूप, बेल पत्र आदि से करना चाहिए। पूजा के बाद बुधवार की कथा अवश्य सुनना चाहिए। इस कथा को सुनने और सुनाने वाले को बुधवार के दिन बाहर जाने या यात्रा करने पर दोष नहीं लगता। इतना अवश्य याद रखें कि कथा के बाद आरती करने और प्रसाद लेने के बाद ही घर से निकलें, फिर यात्रा में कोई कष्ट नहीं होता। भगवान बुधदेव अपने भक्त की हर तरह से रक्षा करने का दायित्व लेते हैं।

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