October 1, 2024     Select Language
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शनि की साढेसाती या ढैय्या, कोई भी परेशानी हो, ये करें उपाय

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कोलकाता टाइम्स :

ई बार किसी समय-विशेष में कोई ग्रह अशुभ फल देता है, ऐसे में उसकी शांति आवश्यक होती है। इनमें से किसी एक को भी करने से अशुभ फलों में कमी आती है और शुभ फलों में वृद्धि होती है। वर्तमान समय में शनि देव के विषय में बहुत सी भ्रांतियाँ लोगों में फैली हुई है। हर कोई शनि देव को प्रसन्न करने में जुटा है| कुंडली में मौजूद सभी ग्रह अच्छे या बुरे साबित हो सकते हैं| शनि यदि कुंडली में शुभ भावों के स्वामी हैं तब वह कभी बुरा फल नहीं देगें| यदि कोई व्यक्ति साढेसाती अथवा शनि की ढैय्या से पीड़ित है तब उसे अपने कर्मों का भुगतान करना ही होगा चाहे वह कितना भी उपाय क्यूँ ना कर ले| इस समय शनि उन्हें अपने और पराये का फर्क बताने का काम करता है|

यदि कोई शनिदेव का उपचार करना भी चाहता है तब उसे कुछ बातों का ध्यान रखना होगा| सबसे पहले तो यह ध्यान रखें कि कभी भी शनिवार के दिन तेल नहीं खरीदें| तेल को पहले से ही खरीदकर घर में रखें और उसी में से थोड़ा – थोड़ा शनि मंदिर में अर्पित करें| जब शनिदेव की मूर्ति पर तेल अर्पित करें तब कभी भी उनकी आंखों में ना झांके क्यूंकि उनकी दृष्टि को ही खराब माना गया है| शनि देव जी के चरणों में देखते हुए तेल दें| चाहे तो शनिवार के दिन तेल मांगने वाले को भी तेल दान कर सकते हैं| यह तेल दान छाया दान के रुप में भी दिया जा सकता है| एक कटोरी में थोड़ा सा तेल लेकर उसमें अपनी परछाई देखकर उसे दान कर दें, इसे छाया दान कहा गया है| साथ में एक सिक्का भी अवश्य दान करना चाहिए|

शनि देव के लिए मंत्र उपचार –

जिन लोगों की कुंडली में शनि ग्रह की महादशा चल रही हो उन्हें उसके मंत्र जाप अवश्य करने चाहिए| चाहे शनि ग्रह उनकी कुंडली के लिए शुभ हो अथवा अशुभ हो| जब भी किसी ग्रह की महादशा आरंभ होती है तब फल उस महादशा को देने होते हैं | यदि अशुभ ग्रह की दशा है तब वह और अधिक अशुभ हो सकती है| इसलिए महादशानाथ के मंत्र जाप अवश्य करने चाहिए|शनि की महादशा के लिए शनि के मंत्रों का जाप करना चाहिए. शुक्ल पक्ष के शनिवार से संध्या समय में मंत्र जाप आरंभ करने चाहिए| स्वच्छ वस्त्र पहन कर शुद्ध आसन पर बैठना चाहिए| उत्तर अथवा पूर्व की ओर मुख करना चाहिए| उसके बाद शुद्ध मन से शनिदेव को याद करके मंत्र जाप शुरु करना चाहिए| मंत्र जाप की संख्या 108 होनी चाहिए|

यदि शनि की महादशा आरंभ होते ही 19,000 मंत्रों का जाप यदि कर लिया जाए तो अशुभ फलों में कमी आ सकती है| महादशा शुरु होने के बाद जब तक शनि की प्रत्यंतर दशा चलती है तब तक 19,000 हजार मंत्रों का जाप पूरा किया जा सकता है| उसके बाद हर शनिवार को एक माला की जा सकती है|

मंत्र है :- “ऊँ शं शनैश्चराय नम|”

शनि मंत्र के साथ शनि स्तोत्र का जाप भी किया जाए तो सोने पे सुहागा वाली कहावत सिद्ध हो सकती है| शनि स्तोत्र है :-

नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठ निभाय च

नम: कालाग्नि रुपाय कृतान्ताय च वै नम:

नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च

नमो विशालनेत्राय शुष्कोदरे भयाकृते

नम: पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णेsथ वै नम:

नमो दीर्घाय शुष्काय कालद्रंष्ट्र नमोsस्तुते

नमस्ते कोटराक्षाय दुर्निक्ष्याय वै नम:

नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने

नमस्ते सर्वभक्षाय बलीमुख नमोsस्तु ते

सूर्यपुत्र नमस्तेsस्तु भास्करेsभयदाय च

अधोदृष्टे: नमस्तेsस्तु संवर्तक नमोsस्तु ते

नमो मंदगते तुभ्यं निर्स्त्रिंशाय नमोsस्तुते

तपसा दग्ध-देहाय नित्यं योगरताय च

नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नम:

ज्ञानचक्षुर्नमस्तेsस्तु कश्यपात्मज – सूनवे

तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात

देवासुरमनुष्याश्च सिद्ध – विद्याधरोरगा

त्वया विलोकिता: सर्वे नाशं यान्ति समूलत:

प्रसाद कुरु मे सौरे ! वारदो भव भास्करे

एवं स्तुतस्तदा सौरिर्ग्रहराजो महाबल:

शनि का पहले भाव में फल

पहला घर सूर्य और मंगल ग्रह से प्रभावित होता है। पहले घर में शनि तभी अच्छे परिणाम देगा जब तीसरे, सातवें या दसवें घर में शनि के शत्रु ग्रह न हों। यदि, बुध या शुक्र, राहू या केतू, सातवें भाव में हों तो शनि हमेशा अच्छे परिणाम देगा। यदि शनि नीच का हो और जातक के शरीर में बाल अधिक हों तो जातक गरीब होगा। यदि जातक अपना जन्मदिन मनाता है तो बहुत बुरे परिणाम मिलेंगे हालांकि जातक दीर्घायु होगा।

उपाय:

(1) शराब और मांसाहारी भोजन से स्वयं को बचाएं।

(2) नौकरी और व्यवसाय में लाभ के लिए जमीन में सुरमा दफनायें।

(3) सुख और समृद्धि के लिए बंदरों की सेवा करें।

(4) बरगद के पेड़ की जड़ों पर मीठा दूध चढानें से शिक्षा और स्वास्थ्य में सकारात्मक परिणाम मिलेंगे।

शनि का दूसरे भाव में फल

जातक बुद्धिमान, दयालु और न्यायकर्ता होगा। वह धन का आनंद लेगा और धार्मिक स्वभाव का होगा। भले ही शनि उच्च का हो या नीच का, यह नतीजा आठवें भाव में बैठे ग्रह पर निर्भर करेगा। जातक की वित्तीय स्थिति सातवें भाव में स्थित ग्रह पर निर्भर करेगी। परिवार में पुरुष सदस्यों की संख्या छठवें भाव और आयु आठवें भाव पर निर्भर करेगी। जब शनि इस भाव में नीच का हो तो शादी के बाद उसके ससुराल वाले परेशान होंगे।

उपाय:

(1) लगातार 43 दिनों तक नंगे पांव मंदिर जाएं।

(2) माथे पर दही या दूध का तिलक लगाएं।

(3) साँप को दूध पिलाए।

शनि का तीसरे भाव में फल

इस घर में शनि अच्छा परिणाम देता है। यह घर मंगल ग्रह का पक्का घर है। जब केतु अपने इस घर को देखता है तो यहां बैठा शनि बहुत अच्छे परिणाम देता है। जातक स्वस्थ, बुद्धिमान और बहुत सरल स्वभाव का होता है। यदि जातक धनवान होगा तो उसके घर में पुरुष सदस्यों की संख्या कम होगी। गरीब होने की दशा में परिणाम उल्टा होगा। यदि जातक शराब और मांशाहार से दूर रहता है तो वह लम्बे और स्वस्थ जीवन का आनंद उठाएगा।

उपाय:

(1) तीन कुत्तों की सेवा करें।

(2) आँखों की दवाएं मुफ्त बांटें।

(3) घर में एक कमरे में हमेशा अंधेरा रखना बहुत फायदेमंद साबित होगा।

शनि का चौथे भाव में फल

यह भाव चंद्रमा का घर होता है। इसलिए शनि इस भाव में मिलेजुले परिणाम देता है। जातक अपने माता पिता के प्रति समर्पित होगा और प्रेम मुहब्बत से रहने वाला होगा। जब कभी जातक बीमार होगा तो चंद्रमा से संबंधित चीजें फायदेमंद होंगी। जातक के परिवार से कोई व्यक्ति चिकित्सा विभाग से संबंधित होगा। जब शनि इस भाव में नीच का होकर स्थित हो तो शराब पीना, सांप मारना और रात के समय घर की नीव रखना जैसे काम बहुत बुरे परिणाम देते हैं। रात में दूध पीना भी अहितकर है।

उपाय:

(1) साँप को दूध पिलाएं अथवा दूध चावल किसी गाय या भैंस को खिलाएं।

(2) किसी कुएं में दूध डालें और रात में दूध न पियें।

(3) चलते पानी में रम डालें।

शनि का पांचवें भाव में फल

यह भाव सूर्य का घर होता है। जो शनि का शत्रु ग्रह है। जातक घमंडी होगा। जातक को 48 साल तक घर का निर्माण नहीं करना चाहिए, अन्यथा उसके बेटे को तकलीफ होगी। उसे अपने बेटे के बनवाए या खरीदे हुए घर में रहना चाहिए। जातक को अपने पैतृक घर में बृहस्पति और मंगल ग्रह से संबंधित वस्तुएं रखनी चाहिए, इससे उसके बच्चों का भला होता है। यदि जातक के शरीर में बाल अधिक होंगे तो जातक बेईमान हो जाएगा।

उपाय:

(1) बेटे के जन्मदिन पर नमकीन चीजें बाटें।

(2) बादाम का एक हिस्सा मंदिर में बाटें और दूसरा हिस्सा लाकर घर में रख दें।

शनि का छठें भाव में फल

यदि शनि ग्रह से संबंधित काम रात में किया जाय तो हमेशा लाभदायक परिणाम मिलेंगे। यदि शादी के 28 साल के बाद होगी तो अच्छे परिणाम मिलेंगे। यदि केतु अच्छी स्थित में हो जातक धन, लाभदायक यात्रओं और बच्चों के सुख का आनंद पाता है। यदि शनि नीच का हो तो शनि से सम्बंधित चीजें जैसे चमडा, लोहा आदि को लाना हानिकारक होता है, खासकर तब, जब शनि वर्षफल में छठवें भाव में हो।

उपाय:

(1) एक काला कुत्ता पालें और उसे भोजन करायें।

(2) नदी या बहते पानी में नारियल और बादाम बहाएं।

(3) सांप की सेवा बच्चों के कल्याण के लिए फायदेमंद साबित होगी।

शनि का सातवें भाव में फल

यह घर बुध और शुक्र से प्रभावित होता है, दोनो ही शनि के मित्र ग्रह हैं। इसलिए शनि इस घर में बहुत अच्छा परिणाम देता है। शनि से जुड़े व्यवसाय जैसे मशीनरी और लोहे का काम बहुत लाभदायक होगा। यदि जातक अपनी पत्नी से अच्छे संबंध रखता है तो वह अमीर और समृद्ध होगा और लंबी आयु के साथ अच्छे स्वास्थ्य का आनंद लेगा। यदि बृहस्पति पहले घर में हो तो सरकार से लाभ होगा। यदि जातक व्यभिचारी हो जाता है या शराब पीने लगता है तो शनि नीच और हानिकर हो जाता है। यदि जातक 22 साल के बाद शादी करता है तो उसकी दृष्टि पर प्रतिकूल प्रभाव पडता है।

उपाय:

(1) किसी बांसुरी में चीनी भरें और किसी सुनसान जगह जैसे कि जंगल आदि में दफना दें।

(2) काली गाय की सेवा करें।

शनि का आठवें भाव में फल

आठवें घर में कोई भी ग्रह शुभ नहीं माना जाता है। जातक दीर्घायु होगा लेकिन उसके पिता की उम्र कम होती है और जातक के भाई एक-एक करके शत्रु बनते जाते हैं। यह घर शनि का मुख्यालय माना जाता है, लेकिन यदि बुध, राहू और केतु जातक की कुंडली में नीच के हैं तो शनि बुरा परिणाम देगा।

उपाय:

(1) अपने साथ चांदी का एक चौकोर टुकड़ा रखें।

(2) नहाते समय पानी में दूध डालें और किसी पत्थर या लकड़ी के आसन पर बैठ कर स्नान करें।

शनि का नौवें भाव में फल

जातक के तीन घर होंगे। जातक एक सफल यात्रा संचालक (टूर ऑपरेटर) या सिविल इंजीनियर होगा। वह एक लंबे और सुखी जीवन का आनंद लेगा साथ ही जातक के माता – पिता भी सुखी जीवन का आनंद लेंगे। यहां स्थित शनि जातक की तीन पीढ़ियों शनि के दुष्प्रभाव से बचाएगा। अगर जातक दूसरों की मदद करता है तो शनि ग्रह हमेशा अच्छे परिणाम देगा। जातक के एक बेटा होगा, हालांकि वह देर से पैदा होगा।

उपाय:

(1) बहते पानी में चावल या बादाम बहाएं।

(2) बृहस्पति से संबंधित (सोना, केसर) और चंद्रमा से संबंधित (चांदी, कपड़ा) का काम अच्छे परिणाम देंगे।

शनि का दसवें भाव में फल

यह शनि का अपना घर है, जहां शनि अच्छा परिणाम देगा। जातक तब तक धन और संपत्ति का आनंद लेता रहेगा, जब तक कि वह घर नहीं बनवाता। जातक महत्वाकांक्षी होगा और सरकार से लाभ का आनंद लेगा। जातक को चतुराई से काम लेना चाहिए और एक जगह बैठ कर काम करना चाहिए। तभी उसे शनि से लाभ और आनंद मिल पाएगा।

उपाय:

(1) प्रतिदिन मंदिर जाएं।

(2) शराब, मांस और अंडे से परहेज करें।

(3) दस अंधे लोगों को भोजन कराएं।

शनि का ग्यारहवें भाव में फल

जातक के भाग्य का निर्धारण उसकी उम्र के अडतालीसवें वर्ष में होगा। जातक कभी भी निःसंतान नहीं रहेगा। जातक चतुराई और छल से पैसे कमाएगा। शनि ग्रह राहु और केतु की स्थिति के अनुसार अच्छा या बुरा परिणाम देगा।

उपाय:

(1) किसी महत्वपूर्ण काम को शुरू करने से पहले 43 दिनों तक तेल या शराब की बूंदें जमीन पर गिराएं।

(2) शराब न पियें और अपना नैतिक चरित्र ठीक रखें।

शनि का बारहवें भाव में फल

शनि इस घर में अच्छा परिणाम देता है। जातक के दुश्मन नहीं होंगे। उसके कई घर होंगे। उसके परिवार और व्यापार में वृद्धि होगी। वह बहुत अमीर हो जाएगा। हालांकि, यदि जातक शराब पिए, मांशाहार करे या अपने घर के अंधेरे कमरे में रोशनी करे तो शनि नीच का हो जाएगा।

उपाय:

(1) किसी काले कपड़े में बारह बादाम बांधकर उसे किसी लोहे के बर्तन में भरकर किसी अंधेरे कमरे में रखने से अच्छे परिणाम मिलेंगे।

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