अब विदेश से यह खतरनाक बीमारी लेकर लौट रहे, सरकार ने दिया उन्हें आइसोलेट होने का निर्देश
कोलकाता टाइम्स :
दुनिया के अनेक देशों में तेजी से फैल रहे संक्रामक मंकीपॉक्स को देखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद को स्थिति पर कड़ी नजर रखने का निर्देश दिया है. आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस संबंध में हवाई अड्डों और बंदरगाहों के स्वास्थ्य अधिकारियों को भी सतर्क रहने का निर्देश दिया है.
स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि हवाई अड्डों को निर्देशित किया गया है कि मंकीपॉक्स प्रभावित देशों की यात्रा कर लौटे किसी भी बीमार यात्री को तुरंत आइसोलेट कर, नमूने जांच के लिए पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी की बीएसएल-4 सुविधा वाली प्रयोगशाला को भेजे जाएं. ब्रिटेन, अमेरिका, पुर्तगाल, स्पेन, बेल्जियम, फ्रांस, इटली और ऑस्ट्रेलिया में भी लोग मंकीपॉक्स से संक्रमित पाए गए हैं.
मंकीपॉक्स एक वायरल इन्फेक्शन है, जो पहली बार 1958 में कैद किए गए बंदर में पाया गया था और 1970 में पहली बार इंसान में इसके संक्रमण की पुष्टि हुई थी. मंकीपॉक्स संक्रमण के मामले ज्यादातर मध्य और पश्चिम अफ्रीकी देशों में मिलते हैं. साल 2017 में नाइजीरिया में मंकीपॉक्स का सबसे बड़ा आउटब्रेक हुआ था, जिसके 75 प्रतिशत मरीज पुरुष थे. अब तक यह बीमारी कुल 11 देशों में फैल चुकी है. विश्व स्वास्थ्य संगठन की टीम भी एक्शन में आ गई है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मंकीपॉक्स एक दुर्लभ बीमारी बताया है, जिसका संक्रमण कुछ मामलों में गंभीर हो सकता है. मंकीपॉक्स संक्रमण के लिए जिम्मेदार वायरस के 2 स्ट्रेन हैं, पहला कांगो स्ट्रेन और दूसरा वेस्ट अफ्रिकन स्ट्रेन. ये दोनों ही स्ट्रेन 5 साल से कम उम्र के बच्चों को अपने संक्रमणका शिकार बनाते हैं.