त्रिफला नहीं सब सभी दुखों का इलाज कहिये
[kodex_post_like_buttons]

कोलकाता टाइम्स :
आज का युग कड़ी मेहनत करने का नहीं बल्कि स्मार्ट तरीके से काम करने का है। स्मार्ट तरीके से काम करने के लिए आपको कई दिक्कतों का सामना भी करना पड़ता है और वक्त के साथ खुद को बदलना भी पड़ता है। ऐसा कर पाना तभी संभव होता है जब आप शारीरिक और मानसिक तौर पर हष्ट – पुष्ट हों। इस तरह की फिटनेस को हासिल करने के लिए आपको रोजमर्रा के कामों में बदलाव लाना बेहद आवश्यक होता है, खाने की प्लेट से लेकर सुबह की नींद में भी परिवर्तन की जरूरत होती है। जैसे – जैसे हम आगे बढ़ते है, उन्नति करते है वैसे – वैसे शारीरिक तौर पर अच्छे हो जाते है लेकिन मानसिक रूप से काफी कमजोर हो जाते है, मन में तनाव का स्थान बढ़ जाता है। उम्र का जल्दी बढ़ना या बार – बार बीमार पड़ना, इस तरह की दिक्कतों के शुरूआती लक्षण है।
त्रिफला क्या है?
त्रिफला एक आयुर्वेदिक पारंपरिक दवा है जो रसायन या कायाकल्प के नाम से भी प्रसिद्ध है। त्रिफला तीन जड़ी – बूटियों का मिश्रण है – अमलकी ( एमबलिका ऑफीसीनालिस ), हरीतकी ( टरमिनालिया छेबुला ) और विभीतकी ( टरमिनालिया बेलीरिका )।
त्रिफला कैसे मदद करता है?
त्रिफला एक चमत्कारी आयुर्वेदिक दवा है। आयुर्वेदिक डॉक्टरों की दुनिया में यह सबसे पंसदीदा दवा है इसकी मदद से वह किसी भी रोग के लिए दवाईयां बना सकते है। आपको जानकर यह आश्चर्य होगा कि आयुर्वेदिक दवाओं की किताब, चरक सहिंता में सबसे पहले अध्याय में ही त्रिफला के बारे में उल्लेख किया गया है। त्रिफला, अमलकी, हरीतकी और विभतकी का शक्तिशाली मिश्रण है जो किसी भी रोग से लड़ने वाली दवा का निर्माण करती है और यह दवा उस रोग को दूर भगाने की क्षमता रखती है।
इम्यूनो – मॉडयूलेटर आयुर्वेद में त्रिफला को स्वास्थ्य कायाकल्प करने वाली दवा के रूप में परिभाषित किया गया है। त्रिफला, शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है जिससे शरीर को बीमारियों से लड़ने की क्षमता मिलती है। प्रतिरोधक क्षमता से शरीर बाहरी तत्वों के खिलाफ आसानी से लड़ सकता है, जिन लोगों में प्रतिरोधक क्षमता की कमी होती है वही बार – बार बीमार पड़ते है। त्रिफला, शरीर में एंटीबॉडी के उत्पादन को बढ़ावा देता है जो शरीर में एंटीजन के खिलाफ लड़ते है और बॉडी को बैक्टीरिया मुक्त रखते है।
त्रिफला, शरीर में टी- हेल्पर कोशिकाओं के उत्पादन को भी बढ़ावा देते है जो कि बॉडी की रक्षा प्रणाली को मजबूत बना देता है।
एंटी – ऑक्सीडेंट – त्रिफला में भरपूर मात्रा में एंटी – ऑक्सीडेंट होते है जो कि सेल्स के मेटाबोल्जिम को नियमित रखते है और उनकी प्रक्रिया को बनाएं रखते है। त्रिफला से उम्र बढ़ाने वाले कारक भी कम होते है, इसीकारण इसके सेवन से उम्र कम दिखती है। यह शरीर की कई सेल्स को नियमित रूप से चलाने में भी मदद करती है जैसे – माइटोकांड्रिया, गोल्गी बॉडीज और न्यूकलस, ये तीनों ही सेल्स को सही तरीके से चलाने का काम करती है।
अपचन – पाचन समस्याओं को दूर करने में त्रिफला सफल है। हल्के दस्त आने पर ही नहीं बल्कि गैस्ट्रो आंत्र पथ में दिक्कत होने पर भी त्रिफला खाने से काफी राहत मिलती है। त्रिफला के सेवन से आंतों से पित्त रस निकलता है जो पेट को उत्तेजित करता है और अपचन की समस्या को दूर करता है। शरीर में जी. आई . ट्रेक्ट के पीएच लेवल को भी त्रिफला बनाए रखता है।
कब्ज –कब्ज की समस्या होने पर त्रिफला बेहद कारगर होता है। इसे खाने से कब्ज की काफी पुरानी समस्या भी दूर भाग जाती है। त्रिफला से शरीर में डीटॉक्सीफिकेशन में मदद मिलती है। वॉर्म/कीड़े और संक्रमण पेट में कीड़े या संक्रमण होने पर त्रिफला खाने से राहत मिलती है। अगर शरीर में रिंगवॉर्म या टेपवॉर्म हो जाते है तो भी त्रिफला कारगर है। त्रिफला, शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन में बढ़ावा देती है जो कि किसी भी संक्रमण से लड़ने में सक्षम होती है। एनीमिया एनीमिया यानि हीमोग्लोबिन की मात्रा में आई कमी होने पर त्रिफला का सेवन फायदेमंद होता है। त्रिफला शरीर में रेड ब्लड़ सेल्स को बढ़ा देता है जिससे शरीर में एनीमिया की दिक्कत कम हो जाती है।
मधुमेह – मधुमेह के उपचार में त्रिफला काफी प्रभावी है। यह पेन्क्रियाज को उत्तेजित करने में मदद करता है जिससे इंसुलिन की मात्रा उत्पन्न होती है। शरीर में इंसुलिन की उचित मात्रा शर्करा के स्तर को बनाएं रखती है। इसका स्वाद बेहद कडुवा होता है जिसके कारण इसे हाइपरग्लेशिमिया के साथ लेने की सलाह दी जाती है।
मोटापा – अधिक मोटापे से ग्रसित लोगों को त्रिफला लेने की सलाह दी जाती है। त्रिफला, शरीर से वसा को कम करता है। शरीर में मोटापा, वसा ही बढ़ाता है त्रिफला सीधे वसा को ही घटाने का काम करता है।
त्वचा की समस्या –त्वचा सम्बंधी समस्या होने पर त्रिफला काफी मददगार होता है। त्रिफला, बॉडी से विषाक्त पदार्थो को बाहर निकाल देता है और खून को साफ कर देता है। यह शरीर में किसी प्रकार के संक्रमण को होने से भी रोकता है।
सांस सम्बंधी समस्या में त्रिफला – सांस सम्बंधी रोगों में लाभदायक होता है। इसके सेवन से सांस लेने में होने वाली असुविधा भी दूर हो जाती है और फेफडों में होने वाला संक्रमण भी समाप्त हो जाता है।
सिरदर्द – अगर किसी को सिरदर्द की समस्या काफी ज्यादा रहती है तो उसे डॉक्टरी सलाह से त्रिफला का नियमित सेवन करना चाहिए। त्रिफला, सिरदर्द को कम करने में मददगार है।
सिरदर्द – विशेष रूप से मेटाबोलिक गड़बड़ी के कारण होता है। इसके सेवन से जड़ से समस्या का निदान होता है।
कैंसर – जेएनयू में किए गए अध्ययन में पता चला है कि त्रिफला से कैंसर का इलाज संभव है। त्रिफला में एंटी – कैंसर गतिविधियां पाई गई है। इसकी मदद से शरीर की कैंसर कोशिकाओं के विकास को कम किया जा सकता है और बीमारी को घटाया जा सकता है।