November 23, 2024     Select Language
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सर्वाइकल कैंसर के लक्षण और उपचार

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कोलकाता टाइम्स : 

पूरी दुनिया में दस में एक महिला सर्वाइकल कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी की शिकार है। भारत में जागरूकता और इलाज की कमी की वजह से यह बीमारी जानलेवा साबित हो रही है। महिलाओं को इस बीमारी के इलाज की जानकारी भी नहीं होती है। इसे बच्चादानी, गर्भाशय या फिर यूट्राइन सर्विक्स कैंसर भी कहा जाता है। सर्वाइकल कैंसर हृयुमन पैपीलोमा वायरस (एचपीवी) के कारण होता है। इसके ज्यादा तर केस 40 साल या इससे ऊपर की महिलाओं में देखे गये हैं। हालांकि ज्यादातर मामलों में एडवांस स्टेज में ही इसका पता चल पाता है, लेकिन पैप स्मीयर टेस्ट से इसे समय रहते पकड़ा जा सकता है। सही वक्त पर इसका पता चल जाए, तो इसका इलाज भी संभव है। अमेरिकन कैंसर सोसायटी की मानें, तो सर्वाइकल कैंसर के कुछ खास रिस्क फैक्टर हैं, मसलन एचपीवी इंफेक्शन, स्मोकिंग, बार-बार होने वाली प्रेग्नंसी, एक से ज्यादा सेक्सुअल पार्टनर और परिवार में सर्वाइकल कैंसर की हिस्ट्री।

1. असामान्य रक्तस्राव संभोग के बाद अधिक मात्र में रक्तस्राव या फिर तेज दर्द। मीनोपॉज के बाद भी शारीरिक संबंध बनाने पर खून का रिसाव। भूख और अधिक वजन घटना भी प्रमुख लक्षण है ।

2. वाइट डिसचार्ज योनि से सफेद बदबूदार पानी का रिसाव। यह भी सरवाइकल कैंसर का लक्षण है। इसे नज़र अंदाज़ न करे और जब भी आप अपने स्त्री रोग विशेषज्ञ के पास जाये तो इसके बारे में जरुर बाताये।

3. पेडु का दर्द आम तौर पर मासिक धर्म चक्र के दौरान पेडु का दर्द नहीं होता है। सरवाइकल कैंसर के लक्षण में हल्का या बहुत तेज दर्द हो सकता हैं । 4. पेशाब करते वक्‍त दर्द पेशाब की थैली में दर्द होना या फिर पेशाब त्‍यागते वक्‍त दर्द महसूस करना सर्वकाइकल कैंसर का पहला लक्षण है। यह लक्षण तभी दिखता है जब कैंसर पेशाब की थैली तक पहुंच चुका हो।

5. पीरियड्स के बीच में स्‍पाटिंग या संबन्‍ध बनाने के बाद ब्‍लीडिंग होना ऐसा गर्भाशय ग्रीवा की जलन कि वजह से होता है, जो कि सेक्‍स या पीरियड होने पर तेज हो जाता है।

1. वैक्सीनेशन एचपीवी के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए इसे 11 से 15 साल की लड़कियों में भी एचपीवी वैक्सीन जरूरी बताई गई है। पैप – स्मीयर जांच से पहले वीएसआई स्क्रीनिंग भी जरूरी है। एचपीवी तीन चरणों में होने वाला वैक्सीनेशन है, जिसे पहली एक महीने, फिर दूसरी और तीसरी डोज छठे महीने में दी जाती है।

2. सर्जरी कैंसर की दूसरी स्टेज में उन अंगों को निकाल दिया जाता है जो अंग कैंसर से प्रभावित होते है। इसमें गर्भाशय और उसके आसपास के टिशू को निकल दिया जाता है। इसमें अंडाशय, फैलोपियन ट्यूब, और लिम्फ नोड्स भी हटाये जा सकते है।

3. कीमोथेरपी कीमोथेरेपी से भी सरवाइकल कैंसर का इलाज होता है। कीमोथैरेपी में विषाक्त दवाओं का इस्तेमाल होता जिससे कैंसर की कोशिकाओं को मारा जाता हैं। कीमोथैरेपी के दौरान मरीज़ को थकान, बालों का झाड़ना , भूख न लगना, मतली, और उल्टी जैसे साइड इफेक्ट होते है।

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