भू-समाधी लेने के लिए तैयार रहे मुंबई वासी, क्योंकि… ?
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कोलकाता टाइम्स :
देश की आर्थिक राजधानी मुंबई के डूबने की आशंका जताई जा रही है। दो अलग-अलग अध्ययनों का दावा है कि मुंबई प्रति वर्ष 2 और 28.8 मिमी की औसत गति से नीचे डूब रहा है। इसके पीछे भूमिगत घटना के लिए स्टीड को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। इसे भूमि सब्सिडी भी कहा जाता है। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि ऐसे में शहर में बाढ़ का खतरा अधिक है। अमेरिकन जर्नल ऑफ जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स की पहली रिपोर्ट मार्च में प्रकाशित हुई थी। अध्ययन में 99 देशों में भूमि सब्सिडी को देखा गया।
आपको बता दें कि स्टडी के मुताबिक चीन का तियानजिन शहर सबसे तेजी से डूब रहा है। इसकी फिसलने की गति 5.2 सेमी सालाना है। जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन ने 2016 से 2020 तक 99 देशों के उपग्रह डेटा के अध्ययन के परिणामों को इंसार पद्धति का उपयोग करके प्रकाशित किया। देश की आर्थिक राजधानी मुंबई डूबने के कगार पर है। दो अलग-अलग रिपोर्टों में इसकी जानकारी सामने आ चुकी है।
वहीं IIT बॉम्बे द्वारा जारी एक अन्य शोध रिपोर्ट में दावा किया गया है कि मुंबई हर साल नीचे की ओर खिसक रहा है। आईआईटी मुंबई के क्लाइमेट स्टडीज पर हाल ही में आई एक रिपोर्ट में ये चौंकाने वाले खुलासे हैं। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि मुंबई में हर साल औसतन 28.8 मिलीमीटर की रफ्तार से जमीन खिसक रही है। आईआईटी मुंबई की रिपोर्ट में तो यहां तक दावा किया गया है कि मुंबई के कुछ इलाकों में स्पीड 28.8 एमएम से भी ज्यादा है। रिपोर्ट में सबसे बड़ी चिंता मुंबई के निचले इलाकों को लेकर है। उल्लिखित कुछ क्षेत्रों में भायखला, कोलाबा, चर्चगेट, कुर्ला, अंधेरी, दादर, वडाला तड़देव, ट्रॉम्बे और गोवंडी शामिल हैं।
मुंबई में अंधेरी का एक इलाका है जो एक मेट्रो है। डार्क सबवे डार्क ईस्ट, डार्क वेस्ट को जोड़ने का काम करता है। बरसात के दिनों में इस मेट्रो में घुटने भर पानी भर जाता है। रात के इस समय ट्रैफिक हल्का होता है। अंधेरी सबवे से समुद्र कुछ ही दूरी पर है। ऐसे में बरसात के दिनों में यहां खतरा बढ़ जाता है। जानकारों का कहना है कि अगर शहर में इंफ्रास्ट्रक्चर और कैनन पर काम नहीं रुका तो निकट भविष्य में मुंबई के लिए खतरा और बढ़ जाएगा।