ऑपरेशन की क्या जरुरत जब इससे ठीक हो सकेगा गठिया
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कोलकाता टाइम्स :
जोड़ों व घुटने का गठिया आज की आधुनिक जीवन शैली की एक आम समस्या है और इसका मुख्य कारण है आज की खराब जीवन शैली। तकनीकी क्रान्ति के इस युग में शारीरिक गतिविधियाँ कम होने से यह बीमारी आम होती चली जा रही है। गठिया और जोड़ों के रोग पर आधारित एक प्रेस वार्ता में मीडिया को सम्बोधित करते हुए मशहूर होलिस्टिक चिकित्सक डा0 पकंज भारती ने कहा कि, प्रदूषण और दोषयुक्त आहार भी इस जीवन शैली में बढ़ती हुई बीमारियों के कारण हैं। जोड़ों व घुटने का गठिया उम्र के साथ बढ़ता है और अग्रिम अवस्था में दवाओं के उपचार से रोकथाम किया जा सकने वाला रोग असाध्य बन जाता है।]
किसी प्रकार की दवा और चिकित्सा से ठीक न हो सकने के कारण रोगियों को घुटना प्रत्यारोपण की सलाह दी जाती है। सरंचनात्मक विकृति घुटने के जोड़ों के बीच की जगह को कम कर देता है जिससे मासंपेशियों में सतुंलन की कमी के कारण हड्डियाँ धनुषाकार की हो जाती हैं। क्या आप जोड़ों के दर्द से परेशान हैं? अधिकांश लोग दवाओं के सीमित प्रभाव एवं परिणामों के साथ महंगे उपचार के कारण घुटना प्रत्यारोपण के विकल्प को चुनना पसंद नहीं करते। इस विषय पर अधिक प्रकाश डालते हुए डा0 भारती ने कहा कि, ‘‘होलिस्टिक उपचार रोगियों को नॉन सर्जिकल मैनेजमेन्ट प्रदान करता है और विकृति को सही करता है। इससे मरीज दर्द मुक्त हो जाता है और घुटना प्रत्यारोपण से निजात पा सकता हैं।”
गठिया रोग को भगाने का 10 घरेलू उपचार ऑस्टियो अथराइटिस के होलिस्टिक उपचार के दौरान घुटनो को सर्पोट देने वाले ऊतको जैसे टेनडेन , लिगामेन्ट एवं मांसपेसियो के क्रानिका तनाव को दूर कर दिया जाता है। इससे जोड बनाने वाली हडिडयां अपना समान्य स्थान ग्रहण कर लेती है। जोडो के बीच की जगह भी ठीक हो जाती है। कुछ समय बाद पैरो की धनुषाकार विकृति मे भी इच्छित सुधार होता है। अस्पताल में प्रारम्भिक प्रशिक्षण एवं सामान्य उपचार के बाद घर पर इलाज करना अत्यंत सरल हो जाता है।
प्रमुख मामलों को इंगित करते हुए डा0 भारती ने कुछ ऐसे उदाहरण भी मीडिया के समक्ष रखे जिन्हें इस चिकित्सा से लाभ हुआ है। इनमें सबसे पहले श्रीमती अमिता रस्तोगी के विषय में बताया गया जो इलाज के समय 55 साल की थी और गंभीर गठिया से पीडि़त थी। उन्होने अस्पताल में 15 दिनों तक इस कार्यक्रम को किया और आज वह दर्द मुक्त बेहतर जिंदगी को आनंद ले रही हैं।