इसके पुष्पों से बनाए खुद को हमेशा के लिए हसीन और जवां….
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कोलकाता टाइम्स :
कनेर एक सामान्य प्रकार की झाड़ी होती है। यह पौधा वैश्यवर्ण का होता है। इसका तना, शाखा इत्यादि क्षीररस युक्त होते हैं। सर्वत्र उपलब्ध यह झाड़ी सदाबहार होती है। इसके पुष्प सुगंधित तथा श्वेत अथवा गुलाबी रंग के होते है। कनेर का पौधे घर की सीमा में नहीं होना चाहिए, क्योंकि इसके होने से घर में नकारात्मक उर्जा का वास रहता है। अगर यह पौधा घर की सीमा में लगा है तो इसे शुक्रवार के दिन उखाड़ कर फेंक देना चाहिए।
वशीकरण के लिए आकर्षण हेतु-कनेर के पुष्प व गाय का घी इन दोनों को मिलाकर वशीकरण यन्त्र रखें व आकर्षण मन्त्र का जाप करें। फिर जिस स्त्री या पुरूष को वश में करना है, उसके नाम से 108 आहूतियाॅ दें। यह क्रम निरन्तर 40 दिन तक करने से आपकी मनोकामना पूर्ण होगी।
सौन्दर्य वृद्धि हेतु-अपने चेहरे को खूबसूरत बनाने के लिए कनेर के पुष्पों को मसलकर चेहरें पर मलें फिर कुछ समय पश्चात चेहरे को गुनगुने जल से धोयें। इससे आपका चेहरा खिल उठता है। शिरोपीड़ा दूर करने के लिए-कनेर के कुछ पुष्पों को सिर पर मलने से सिर की पीड़ा दूर हो जाती है।
रोग मुक्ति के लिए : अल्सर, कैंसर इत्यादि के उपचार में-शरीर में उत्पन्न किसी भी प्रकार का अल्सर या कैंसर की गांठ को कनेर की सहायता से ठीक किया जा सकता है। इसके पुष्पों का अवलेह बनाकर पानी के साथ उसे रोग वाले स्थान पर लगाने से रोग ठीक हो जाता है।
कुष्ठ रोग के उपचार हेतु-कनेर के पौधे की ताजा जड़ लेकर सरसों के तेल में अच्छे तरीके से उबालें, फिर से उसे ठंडा कर छान लें। इस तेल को कुष्ठ रोग से प्रभावित स्थानों अच्छें तरीके से लगाने से धीरे-धीरे रोग ठीक हो जाता है।
सर्प काटने पर-यदि किसी को सर्प काट ले तो कनेर की पत्तियों को पीसकर लगाने से सर्प के विष का असर कम हो जाता है। शास्त्रों के अनुसार कनेर की पत्तियों का रस लगाने से नागराज के विष का असर भी कम हो जाता है।
सूर्य पीड़ा निवारणार्थ-यदि आपकी पत्री में सूर्य पीड़ित होकर अशुभ फल दे रहा है तो कनेर की जड़ को रविवार एवं पुष्य नक्षत्र के योग में उखाड़कर फिर उसे सूर्य मन्त्र से अभिमंत्रित करके जातक अपने दाहिने बाजू या गले में धारण कर लें और सूर्य को नित्य जल चढ़ायें। ऐसा करने से धीरे-धीरे सूर्य आपको शुभ फल देने लगता है।
शत्रु का शमन : अगर आप किसी शत्रु से बहुत पीड़ित है तो लाल कनेर की डाल को गुरूवार को पुष्य नक्षत्र में प्रातःकाल तोड़ लें फिर इसके 7 टुकड़े करके उन सब शत्रु का नाम अंकित कर दें। जब ये टुकड़े सूख तब इन्हें कपूर की अग्नि में जला दें। ऐसा करने से शत्रु आपको परेशाना करना बन्द कर देगा।