चना सिर्फ सेहत ही नहीं बनाता और भी बहुत कुछ करता है
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कोलकाता टाइम्स :
यह भूरे रंग व काले रंग का, कसैले स्वाद का तथा शीतल प्रकृति का, वायु दाता विटामिन ए युक्त व शक्तिदायक अनाज है। चने की एक किस्म काबुली चना भी है, जिसे प्रचलित भाष में छोला कहा जाता है। ये अफगानिस्तान, दक्षिणी यूरोप, उत्तरी अफ्रीका और चिली में पाये जाते है। वैसे सबसे अधिक फायदेमन्द व उपयोगी देशी चना ही होता है। आईये जानते है चना किन-किन प्रयोगों में काम आता है। अजीविका साधन वृद्धि-यदि आप अजीविका को लेकर काफी चिन्तित है और काफी प्रयासों के बावजूद भी प्रगति नहीं हो रही है, तो 8 मंगलवार नित्य बन्दरों को चना खिलाने से लाभ होता है।
खून की कमी व कुष्ठ रोग में लाभ धन लाभ-शुक्रवार की रात को सवा किलो चने भिगों दें, उन्हें सरसों के तेल में बना लें। चने का प्रथम भाग शनिवार को भैंसे को खिला दें, दूसरा भाग कुष्ठ रोगी को दें और तीसरा भाग अपने उपर से उतार कर चैराहे पर रख कर आये। यह प्रयोग लगातार सात दिन तक करने से आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।
कमजोरी, खून की कमी व कुष्ठ रोग में-रात को चने भिगोकर सुबह उबालकर जब एक चैथाई पानी रह जाये तो पी लें व अंकुरित चने खायें और साथ में सोयाबीन एंव दूध का सेंवन करने से कमजोरी, खून की कमी व कुष्ठ रोग में लाभ मिलता है।
बहुमूत्र या पथरी : यदि आप बहुमूत्र या पथरी की बीमारी से ग्रसित है तो काले चने दूध में भिगोकर खायें एवं साथ में जौ व चने की रोटी सेंवन करें। एक लीटर पानी में चने व गेंहू उबाले जब एक चैथाई पानी रह जाये तो उस पानी का सुबह खानी पेट सेंवन करें।
पौरूष बल को बढ़ाने के लिए : वीर्य दौर्बल्यता-पौरूष बल को बढ़ाने के लिए भूने चनों को देशी घी में भून लें फिर इसमें बादाम, छुआरे, किशमिश व मिश्री मिलाकर लड्डू बनाकर दिन में 3 बार दूध के साथ सेंवन करने से वीर्य दौर्बल्यता ठीक हो जाती है।
झाइयां व दाद मिटाने के लिए-बेसन, दूध, दही, सरसों के तेल में मिलाकर मलने से झाइयां व व दाद मिट जाते है। शीघ्र विवाह हेतु जिन जातकों के विवाह में कोई न कोई अड़चन आती रहती है और जिसके कारण विवाह सम्पन्न नहीं हो पाता है। वे युवक-युवतियां सोमवार को सवा किलो चने की दाल व सवा लीटर दूध लगातार 7 गुरूवार दान करें। ध्यान रखें यह उपाय युवक शुक्रवार को करें एवं कन्या गुरूवार को करें।