शनि की साढ़ेसाती से बचना है तो इसे जानना बेहत जरुरी
कोलकाता टाइम्स :
अमावस्या वैसे तो हर महीने आती है, लेकिन जब यह शनिवार को आए तो यह अपने आप में एक सिद्ध दिन बन जाता है। इसे शनैश्चरी अमावस्या कहा जाता है। शनैश्चरी अमावस्या 11 अगस्त को आ रही है। जीवन में कई तरह के संकट केवल शनि, राहु-केतु और कुंडली के अन्य अशुभ योगों के कारण आते हैं। और इन सब दोषों का नाश करने के लिए साल में कुछ ही सिद्ध दिन मिलते हैं। उन्हीं में से एक है शनैश्चरी अमावस्या। जीवन के संकटों का नाश करने के लिए शनैश्चरी अमावस्या के दिन कई तरह के उपाय किए जाते हैं, जिनके बारे में हिंदू धर्म शास्त्रों, ज्योतिष के ग्रंथों, रावण संहिता, लाल किताब आदि में निर्देश दिए गए हैं। आइए जानते हैं इस दिन क्या-क्या उपाय किए जाते हैं…
शनि की साढ़ेसाती से बचने का उपाय वर्तमान में शनि की साढ़ेसाती वृश्चिक, धनु और मकर राशि पर चल रही है। वृश्चिक पर साढ़ेसाती का अंतिम चरण, धनु पर द्वितीय चरण और मकर राशि पर पहला चरण चल रहा है। साढ़ेसाती के कारण इन राशि वालों के जीवन में कई तरह के संकट बने हुए हैं। शनैश्चरी अमावस्या के शुभ संयोग में इससे बचने के उपाय अवश्य करें।
शनैश्चरी अमावस्या के दिन प्रातः पवित्र नदियों के जल से स्नान करके नीले रंग के वस्त्र पहनें। इसके बाद सवा मीटर सूती काला या नीला कपड़ा लें। इसमें सात तरह के अनाज 225 ग्राम प्रत्येक रखें। काले तिल और लोहे का एक चौकोर टुकड़ा भी इस पोटली में बांध लें। इसे किसी घोड़े के अस्तबल में जाकर दान करें। इससे शनि की पीड़ा शांत होगी। कुंडली में कालसर्प दोष है तो इन्हीं सब सामग्री के साथ एक चांदी से बने हुए नाग का जोड़ा रखें और इस पोटली को किसी शिव मंदिर में दान करें।
जन्म कुंडली में ग्रहणदोष दोष बना हुआ है तो शनैश्चरी अमावस्या से बड़ा कोई दिन नहीं जब इन दोषों का निवारण किया जा सके। किसी जन्मकुंडली में ग्रहण दोष तब बनता है जब किसी भी स्थान में सूर्य या चंद्र के साथ राहु बैठा हो। इस दोष के प्रभाव से जीवन संकटमय बना रहता है। कई कोई कार्य पूर्ण नहीं होता। जीवन की तरक्की और सुखों पर एक तरह से ग्रहण लग जाता है। इस दोष का निवारण किया जाना जरूरी होता है।
यदि सूर्य के साथ राहु है तो सूर्यग्रहण दोष बनता है। इसके निवारण के लिए शनैश्चरी अमावस्या के दिन एक लाल कपड़े में सवा किलो गेहूं, लाल चंदन का टुकड़ा, लाल चंदन की माला और दक्षिणा रखकर एक तांबे के पात्र में इन्हें रखकर किसी योग्य ब्राह्मण को दान करें या शिव मंदिर में भेंट करें। यदि ग्रहण दोष चंद्र के कारण बना हुआ है तो एक सफेद कपड़े में सवा किलो चावल, सफेद चंदन और स्फटिक की माला व दक्षिणा रखकर किसी कांसे के बर्तन में रखकर दान करें।