श्रीलंका से भी ख़राब हालत हो गयी इस देश की, लोग नहीं निकाल पा रहे बैंक से अपना पैसा
एक असफल राज्य उसे कहते हैं जो अपनी सीमाओं की रक्षा नहीं कर सकता है, अपने क्षेत्र के सभी लोगों पर शासन नहीं कर सकता है, बुनियादी सुविधाएं और सेवाएं प्रदान नहीं कर सकता है और बल या पुलिस के उपयोग पर उसका एकाधिकार नहीं है. हैरानी की बात ये है कि लेबनान इन सभी बातों को पूरा करने के बहुत करीब है, क्योंकि यहां अलग-अलग कई मजबूत सशस्त्र समूह पैर जमाए हुए हैं. बिल्कुल वैले ही जैसे कि ईरानी समर्थित हिज़्बुल्लाह- जो देश के कुछ हिस्सों में एक राज्य के रूप में कार्य करते हैं, नागरिकों को गिरफ्तार और कैद करते हैं, जबकि सरकार देश के सभी क्षेत्रों में पुलिस या पानी और बिजली जैसी आवश्यक सेवाएं प्रदान करने में असमर्थ है जो दिन में केवल तीन से चार घंटे आपूर्ति की जाती है.
लेबनान की करेंसी लेबनानी पाउंड की कीमत काफी नीचे गिर गई है. यह 95 प्रतिशत से अधिक गिर गया है और अब 35.300 लेबनानी पाउंड एक डॉलर के बराबर है. लगातार ऐसी घटनाएं होती गईं जिससे लेबनान बर्बादी की तरफ बढ़ता गया. सीरियाई गृहयुद्ध ने अरब देशों को लेबनान के निर्यात पर भारी झटका दिया, जबकि 10 लाख से अधिक सीरियाई शरणार्थियों ने लेबनान में शरण मांगी. वहीं कोरोनो वायरस ने इसके पर्यटन उद्योग को नष्ट कर दिया, जबकि सेंट्रल बैंक ने विनाशकारी रूप से अवास्तविक विनिमय दरों को लागू किया और लेबनानी पाउंड का समर्थन करने के लिए सैकड़ों मिलियन डॉलर खर्च किए. मजबूरी में सरकार की तरफ से बिजली, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा जैसी सार्वजनिक सेवाओं में भारी कटौती की गई है. इसके विपरीत, राज्य ने आवश्यक दवाओं पर सब्सिडी देना बंद कर दिया है, जिसके परिणामस्वरूप उन लोगों की असामयिक मृत्यु हो गई जो दवाई खरीदने में सक्षम नहीं हैं.