January 19, 2025     Select Language
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नकली पहना तो खैर नहीं, इसलिए पहचाने असली माणिक्य 

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कोलकाता टाइम्स : 

न्मकुंडली में जब सूर्य खराब होता है तो ज्योतिषियों द्वारा माणिक्य धारण करने की सलाह दी जाती है। माणिक्य को पद्मराग भी कहा जाता है और प्राकृत भाषा में इसे पउमराग कहा जाता है। संस्कृत में इसे माणिक्य, रंग माणिक्य, रविरत्न, शोणरत्न, कुरविंद तथा लोहित भी कहा कहा जाता है। हिंदी में चुन्नी, कें बू, लाल तथा मानिक कहा जाता है। अन्य भाषाओं में इसके विविध नामों से पुकारा जाता है। माणिक तुरंत प्रभाव दिखाने वाला रत्न होता है लेकिन आजकल नकली माणिक बहुतायत में मिलते हैं जिनकी पहचान करना आम मनुष्य के लिए मुश्किल हो जाता है। हीरे के बाद माणिक दूसरा रत्न है जो सबसे अधिक कठोर होता है।

असली माणिक्य की पहचान

यदि प्राकृतिक माणिक्य को बर्फ के टुकड़े में रख दिया जाए तो उससे जोरदार आवाज सुनाई पड़ती है।

प्राकृतिक माणिक्य अंधेरे में भी चमकता है। सूर्य के प्रकाश में माणिक्य लाल रंग की किरणें बिखेरता है।

प्रात:काल में माणिक्य को सूर्य के सामने किसी दर्पण पर रख दें। ऐसा करने पर यदि दर्पण के निचले भाग में भी किरणें दिखाई दें तो वह प्राकृतिक माणिक्य होता है। प्राकृतिक माणिक्य को पत्थर पर घिसने से वह घिसता नहीं है और न उसके भार में कमी आती है।

माणिक्य की पांच जातियां 

पउमराग या पद्मराग : जिसमें सूर्य की किरणों के समान किरणें निकलती दिखाई दें। चिकना, कोमल, स्वर्णप्रभा होता है।

सौगन्धिय या सौगन्धिक : जो पलाश पुष्प, कुसुम पुष्प जैसा अथवा कोमल, सारस या चकोर के नेत्र जैसा हो। नीलगन्ध : जो रत्न कमल, अलक्तक, प्रवाल के समान कुछ नीलाभ या जुगनू की भांति कांति वाला हो।

कुरुविन्द : जिसमें सौगन्धिक तथा पद्मराग जैसी कांति हो तथा रंग गहरा हो। यह पानीदार तथा भार में हल्का होता है।

जामुनिया : जिसका रंग जामुन तथा लाल कनेर के पुष्प के समान हो।

माणिक्य के आठ गुण 

रत्न शास्त्रों में माणिक्य के आठ प्रकार के गुण बताए गए हैं। ये हैं श्रेष्ठ आभा, सुस्निग्धत्व, किरणाभ, कोमल, रंगीला, भारी, बड़ा तथा सुडौल। माणिक्य के आठ दोष Ads by कांतिहीन, जड़, धूम्रवर्ण, फूटा, दागदार, दानेदार, कठिन, रूखा ये माणिक्य के आठ दोष कहे गए हैं।

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