November 23, 2024     Select Language
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हर रोज 14 घंटे रहें भूखा, डिटॉक्स होंगे आप और आने वाला शिशु भी 

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कोलकाता टाइम्स :

देश में कैंसर तेजी से बच्चों के बीच पांव पसार रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन और नेशनल सेंटर फॉर डिजीज इन्फोर्मेटिक्स एंड रिसर्च की नई स्टडी में ये बात सामने आई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में बच्चों के कैंसर से पीड़ित होने के बाद 10 में 6 मामलों में उनकी जान चली जाती है। जबकि विकसित देशों में सही समय पर जांच और इलाज के चलते 10 में 8 बच्चों की जान बच जाती है। WHO के मुताबिक पिछले कुछ वर्षों में भारत में कैंसर से जितने भी बच्चों की मौत हुई उनमें से 80% की जान बचाई जा सकती थी।

कैंसर के बारे में इन आंकड़ों और तथ्यों को भी जान लें

  • नेशनल कैंसर रजिस्ट्री रिपोर्ट के मुताबिक देश में 2012 से 2019 के बीच कैंसर के तकरीबन 6 लाख मामले सामने आए।
  • इसमें से लगभग 25 हजार बच्चे थे। WHO के आंकड़े के मुताबिक दुनिया भर में हर साल 4 लाख से ज्यादा बच्चे कैंसर की चपेट में आ जाते हैं।
  • डॉक्टर्स का मानना है कि बच्चों का कैंसर जल्दी पकड़ में नहीं आता, जिसके चलते उनका सर्वाइवल रेट काफी कम है।

कोरोना महामारी के दौरान जब देश में वैक्सीन बनी तो सबसे पहले डॉक्टरों, फ्रंट लाइन वर्कर्स और बुजुर्गों को लगाई गई। लेकिन कुछ रिसर्चर्स ने महामारी से लड़ने का एक नया मॉडल डेवलप किया है। जिसके मुताबिक महामारी के दौरान उम्र और सेहत के साथ रंग और नस्लीय पहचान को भी ध्यान रखना होगा। अमेरिका के ‘लोवा स्टेट यूनिवर्सिटी’ के रिसर्चर्स ने पाया कि महामारियों का प्रभाव अलग-अलग नस्लीय समूहों और रंगों के लोगों पर अलग-अलग होता है। ऐसे में उनका कहना है कि बीमारी से लड़ने के लिए रंग और नस्ल के आधार पर भी प्राथमिकताएं तय की जानी चाहिए।

ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने एक नए ब्लड ग्रुप को खोज निकाला है। उन्होंने इसे ‘Er’ नाम दिया है। यह एक अत्यंत दुर्लभ ब्लड ग्रुप है। दुनिया में इस ब्लड ग्रुप के गिने-चुने लोग ही हैं। दरअसल, ब्रिटेन की दो महिलाओं को प्रेग्नेंसी के दौरान ब्लड कॉम्प्लिकेशंस होने पर उनके खून की गहनता से जांच की गई। जिसके बाद ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी और नेशनल हेल्थ सर्वे ब्लड एंड ट्रांसप्लांट (NHSBT) के वैज्ञानिकों ने इस नए ब्लड ग्रुप की खोज का ऐलान किया।

‘लैंसेट प्लैनेटरी’ हेल्थ जर्नल में प्रकाशित नई रिसर्च में में पता चला है कि मां के गर्भ में पल रहे बच्चे तक प्रदूषण की पहुंच है। स्कॉटलैंड और बेल्जियम में 7 से 20 हफ्ते के 36 भ्रूण पर स्टडी के बाद वैज्ञानिकों ने पाया कि जन्म के पहले ही बच्चों के फेफड़े और दिमाग तक प्रदूषण के कण पहुंच चुके थे। रिसर्च के दौरान प्लेसेंटा में भी प्रदूषण कण पाए गए। रिसर्चर्स का कहना है कि बढते प्रदूषण के चलते कार्बन और दूसरे पार्टिकल्स आसानी से मां के शरीर से होते हुए भ्रूण तक पहुंच रहे हैं।

अगर आप सुबह ब्रेकफ़ास्ट करने के 10 घंटे के भीतर लंच और डिनर भी कर लेती हैं तो ये आपकी सेहत के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकता है। यानी दिन के 24 घंटे में से आपको हर रोज 14 घंटे बिना कुछ खाए रहना चाहिए। हेल्थ जर्नल ‘सेल मेटाबॉलिज्म’ में पब्लिश रिसर्च में बताया गया गया कि रात को जल्दी खाना भी फायदेमंद है। रिसर्चर्स का मानना है कि 24 घंटे में से 10 घंटे के भीतर खाने और 14 घंटे शरीर को आराम देने से इसका सेहत पर सकारात्मक असर पड़ता है।

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