July 1, 2024     Select Language
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दुबई के शाही बहू पहुंची UN की मानवाधिकार परिषद, मदद मांग राज परिवार के खिलाफ कही यह बात 

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कोलकाता टाइम्स : 
दुबई के शासक की दौलत और चकाचौंध भरी लाइफ से आप अच्छे से परिचित होंगे. आपने इन सब चीजों को लेकर कई रिपोर्ट भी पढ़ी होगी, लेकिन चमक धमक के बीच सिक्के का एक और पहलू है, जो पर्दे में छिपा रह जाता है और कभी कभार ही बाहर दिखता है. ऐसा ही एक मामला इन दिनों सामने आया है, जो दुबई के शाही परिवार में महिलाओं के अधिकारों पर सवाल खड़े करता है. जी हां, दुबई के शासक के भतीजे की पूर्व पत्नी ने संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार परिषद में एक अपील दर्ज कर मांग की है कि संयुक्त राष्ट्र उनके मामले में हस्तक्षेप कर ज़ैनब जवादली और उनके बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करे.

इस अपील में कहा गया है कि ज़ैनब जवादली दुबई में दुर्व्यवहार, उत्पीड़न और धमकी का सामना कर रही हैं. जवादली दुबई के शाही परिवार के सदस्य शेख़ सईद बिन मकदूम बिन राशिद अल मकदूम की पत्नी थीं. इन दोनों ने काफी सममय पहले तलाक ले लिया था, लेकिन अब इनके बीच बच्चों की कस्टडी को लेकर विवाद है. ज़ैनब जवादली का एक वीडियो भी इन दिनों वायरल हो रहा है, जिसमें वह कह रही हैं, ‘प्लीज़ मेरी मदद करें. मैं और मेरे बच्चे अपनी ज़िंदगी और सुरक्षा के लिए भयभीत और आतंकित हैं. हम एक ढंग से बेघर हैं क्योंकि हमें दुबई के एक होटल तक सीमित कर दिया गया है. मेरे बच्चे बेख़ौफ़ बाहर नहीं निकल सकते क्योंकि उन्हें डर है कि पीछे से मुझे गिरफ़्तार कर लिया जाएगा.’

31 वर्षीय जवादली अज़रबैजान से संबंध रखती हैं. वह अंतरराष्ट्रीय जिमनास्ट रह चुकी हैं. जवादली ने साल 2015 में शेख सईद से शादी की थी और शादी के बाद दुबई में ही सेटल हो गईं थीं. शेख़ सईद सत्तारूढ़ राजघराने के एक वरिष्ठ सदस्य हैं. वह दुबई के शासक शेख़ मोहम्मद बिन राशिद अल मकदूम के भतीजे लगते हैं. साल 2019 में उन्होंने शेख़ सईद से तलाक़ ले लिया था. तलाक के बाद से वह दुबई में ही हैं. वहां वह अपनी तीन बेटियों के साथ रहती हैं. तलाक के बाद भी वह दुबई में इसलिए जमी हुई हैं क्योंकि उन्हें डर है कि अगर उन्होंने दुबई छोड़ा तो वह अपनी बेटियों को हमेशा के लिए खो देंगी. तीन साल से वे अपने पति के साथ, अपनी बेटियों की कस्टडी के लिए अदालत में केस लड़ रही हैं.

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार संगठन से हस्तक्षेप की अपील में राजकुमारी के ब्रिटेन स्थित वकीलों ने दावा किया है कि उनकी क्लाइंट की बोलने और स्वतंत्रता से घूमने-फिरने की आज़ादी सीमित कर दी गई है. साथ ही उन्हें धमकियां भी दी जा रही हैं. अपील में दावा किया गया है कि जवादली, उनके माता-पिता और उनकी बेटियों को दो साल पहले दुबई पुलिस ने होटल में घुसकर पीटा भी था. वहां की अदालत उनके केस को निष्पक्ष होकर नहीं सुन रही है.

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