May 20, 2024     Select Language
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जरूर जाने चंद्रमा के दूषित होने के राज, क्या होते हैं उसके परिणाम?

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कोलकाता टाइम्स :

ज्योतिष में चंद्र को मन का प्रतीक कहा गया है। मन पर चंद्र का प्रभाव होता है और यह मन से अनेक मानसिक पीड़ाएं और मानसिक शांति उत्पन्न होती है। इसलिए जिस जातक की जन्मकुंडली में चंद्र दूषित, क्षीण होता है उसे अनेक मानसिक पीड़ाओं का सामना करना पड़ता है और जिसका चंद्र मजबूत होता है वह जातक मानसिक रूप से अत्यंत शांत होता है। ज्योतिष में चंद्र के खराब होने की स्थिति में अनेक प्रकार के रोग होने की स्थिति बनती है। इसके निवारण के भी अनेक उपाय बताए गए हैं। चंद्र के बारे में

चंद्रमा कर्क राशि का स्वामी होता है। यह वृषभ में उच्च का और वृश्चिक राशि में नीच का होता है। इसकी मूल त्रिकोण राशि वृषभ होती है। इसके मित्र ग्रह सूर्य और बुध हैं। शत्रु राहु-केतु और समग्रह हैं मंगल, गुरु, शुक्र, शनि।

चंद्र के खराब होने की स्थिति नीच का चंद्र तीसरे, छठे, आठवें या 12वें भाव में हो। कन्या राशि का चंद्र सातवें, नौवें या दूसरे भाव में हो। चंद्र यदि लग्न में या अष्टम में नीच का हो और शनि 11वें या दूसरे भाव से 10वीं दृष्टि रखता हो। क्षीण चंद्र अष्टम में हो या मकर राशि का हो तथा शनि दूसरे या 11वें भाव से देखता हो। चंद्रमा की महादशा में शनि की अंतर्दशा हो। चंद्र पापग्रहों से युति रखता हो या मंगल देखता हो। चंद्रमा गोचर में पांचवें, आठवें या 12वें भाव में हो।

दूषित चंद्र से उत्पन्न रोग चंद्र का संबंध जल तत्व से है, इसलिए शरीर में उत्पन्न होने वाले अधिकांश जल संबंधी रोग ही होते हैं। चंद्र खराब होने पर मूत्राशय संबंधी रोग अधिक होते हैं। मधुमेह, अतिसार, अनिद्रा, नेत्ररोग, विक्षिप्तता, पीलिया, मानसिक पीड़ा, मानसिक थकान, ठंड लगकर बुखार आना, सर्दी-जुकाम, खांसी, दमा, श्वास रोग, फेफड़ों के रोग होते हैं।चंद्र की पीड़ा शांत करने के लिए मोती धारण करना सबसे उत्तम उपाय माना जाता है। असली मोती चांदी की अंगूठी या पेंडेंट में लगवाकर सोमवार के दिन धारण करें। चांदी का चौकोर टुकड़ा अपने जेब में या पर्स में हमेशा रखें। नित्य प्रतिदिन शिवलिंग पर शुद्ध-ताजे जल में कच्चा दूध मिलाकर अर्पित करें। शुक्लपक्ष के चंद्र के नित्य दर्शन करें। चंद्र त्राटक करें।

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