November 23, 2024     Select Language
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क्यों होती है दुर्घटनाएं और बचने के लिए क्या कहता है ज्योतिष 

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कोलकाता टाइम्स : 
टना-दुर्घटनाएं सभी के साथ होती रहती है, चोट सभी को लगती रहती है। दुर्घटनाएं और चोट जब तक सामान्य या हल्की-फुल्की लगती है तब तक तो मनुष्य ध्यान नहीं देता, लेकिन जब बड़ी दुर्घटनाएं बार-बार होने लगे तो उससे रक्षा का उपाय करना आवश्यक होता है, अन्यथा प्राण पर संकट भी आ सकता है। ज्योतिष शास्त्र में दुर्घटनाओं के संबंध में अनेक ग्रह स्थितियों के बारे में वर्णन मिलता है। आइए जानते हैं चोट लगने, दुर्घटनाओं का क्या कारण हो सकता है और इनसे बचने का उपाय क्या है। दुर्घटनाओं की जिम्मेदार स्थितियां
सबसे पहली बात, चर लग्न और चर राशियों वाले लोगों को चोट लगने की आशंका अधिक होती है। चर लग्न और चर राशियां मेष, कर्क, तुला और मकर होती हैं। अर्थात् जिन जातकों का लग्न या राशि मेष, कर्क, तुला या मकर होती है उन्हें बार-बार चोट लगती रहती है। लग्न या द्वितीय भाव में राहु-मंगल की युति होने पर जातक को बार-बार दुर्घटनाओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे जातक को घर में बैठे-बैठे भी चोट लग जाए तो कोई आश्चर्य की बात नहीं होती। लग्न में शनि हो और अन्य कोई शुभ ग्रह केंद्र स्थान में न हो तो जातक को ऊंची जगह से गिरने के कारण चोट लगती है। लग्न में मंगल हो तो जातक के सिर और मस्तिष्क पर घाव लगता है।
चंद्रमा से केंद्र या त्रिकोण का मंगल हो तो जातक की वाहन या यात्रा में दुर्घटना होती है। पंचम भाव में शनि-सूर्य या शनि-मंगल की युति होने पर हाथापाई, विवाद, मारपीट के दौरान जातक घायल होता है। इसके अलावा भी अनेक ग्रह स्थितियां होती हैं जो जातक को चोट लगने की ओर संकेत करती हैं।
यदि उपरोक्त में से कोई स्थिति जातक की कुंडली में बनी हो तो उसे लोहा, तांबा या चांदी की अंगूठी में मून स्टोन पहनना चाहिए। तांबे की अंगूठी में लाल मूंगा और चांदी की अंगूठी में मोती जड़वाकर पहनना चाहिए। मूंगा घाव जल्दी भरने में सहायक होता है और मोती त्वचा के दाग मिटाकर उसे सामान्य बनाता है। महामृत्युंजय यंत्र या वाहन दुर्घटना नाशक यंत्र को चांदी या अष्टधातु में बनवाकर पेंडेंट के रूप में गले में पहनने से सर्वत्र रक्षा होती है।

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