February 22, 2025     Select Language
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यह है बाउल कैंसर होने के लक्षण, हो जाएं सतर्क

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कोलकाता टाइम्स :  
कैंसर एक जानलेवा बीमारी है और इसका नाम सुनते ही लोग घबरा जाते हैं। कई तरह के कैंसर के बारे में तो लोग अवगत हैं, लेकिन बाउल कैंसर के बारे में आपको शायद कम ही पता हो। हालांकि, बाउल कैंसर ब्रिटेन में ब्रेस्ट, प्रोस्टेट और लंग कैंसर के बाद चौथा सबसे आम रूप है। वहीं, ऑस्ट्रेलिया में पुरुषों और महिलाओं दोनों में बाउल कैंसर तीसरा सबसे आम कैंसर है और 50 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में अधिक आम है। देश में भी बाउल कैंसर अर्थात् आंत्र कैंसर पेशेंट हैं, जो इस बीमारी से हर दिन जंग लड़ रहे हैं। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको बाउल कैंसर और इसके लक्षणों के बारे में बता रहे हैं
– बाउल कैंसर क्या है? बाउल कैंसर वह जगह है जहां रोग बड़ी आंतों में शुरू होता है
– इसे कोलन या कोलोरेक्टल कैंसर भी कहा जाता है, क्योंकि यह कोलन और मलाशय को भी प्रभावित कर सकता है। अधिकांशतः बाउल कैंसर पूर्व-कैंसर ग्रोथ से ही विकसित होते हैं, जिन्हें पॉलीप्स कहा जाता है। कैंसर छोटी आंत में भी शुरू हो सकता है लेकिन यह एक दुर्लभ कैंसर है। बाउल कैंसर की गिनती सबसे अधिक घातक कैंसर में से एक में होती है। हालांकि, इसे ठीक किया जा सकता है
– अगर इसे जल्दी पकड़ लिया जाए। इसके लिए, इसके संकेतों पर ध्यान दिया जाना बेहद आवश्यक है। ब्रेस्ट कैंसर पेशेंट के लिए क्यों जरूरी है पैलिएटिव केयर, कैसे मिलता है फायदा?
बाउल कैंसर के लक्षण क्या हैं? बाउल कैंसर होने पर व्यक्ति को खुद में कुछ बदलाव नजर आते हैं, जिन्हें बिल्कुल भी नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। यह लक्षण हैं-
• पीछे के मार्ग से रक्तस्राव, या आपके मल में रक्त आना • आपके सामान्य शौचालय की आदतों में बदलाव – उदाहरण के लिए सामान्य से अधिक बार शौच जाना
• पेट में दर्द या सूजन या ऐंठन का अनुभव होना
• गुदा या मलाशय में दर्द
• अत्यधिक थकान
• वजन घटना
• एनीमिया (पीला रंग, कमजोरी और सांस फूलना) पब्लिक टॉयलेट का इस्तेमाल करते समय ध्यान रखें ये बातें बाउल कैंसर के कारण ऐसे कई कारक है जो बाउल कैंसर के जोखिम को बढ़ाते हैं उनमें शामिल हैं-
• जेनेटिक रिस्क और फैमिली हिस्ट्री
• बाउल संबंधी रोग
• आवश्यकता से अधिक रेड मीट का सेवन करना, विशेष रूप से प्रोसेस्ड मीट
• पालीप्स
• अधिक वजन या मोटापा होना
• शराब का अधिक सेवन करना
• धूम्रपान व तम्बाकू फ्रिजी हेयर से ना हों परेशान, बस अपनाएं ये टिप्स बाउल कैंसर का ऐसे लगाएं पता बाउल कैंसर का निदान करने के लिए कई परीक्षणों का उपयोग किया जाता है।
शुरूआत में डॉक्टर फिजिकल एक्जामिनेशन करता है। इसके बाद कुछ टेस्ट किए जा सकते हैं- बाउल कैंसर के लिए स्क्रीनिंग स्क्रीनिंग, मल में रक्त के लिए एक परीक्षण है, जो घर पर किया जा सकता है। इसे एफओबीटी के रूप में भी जाना जाता है और परीक्षण केवल कम जोखिम वाले लोगों के लिए होता है, जिनमें आंत्र कैंसर के कोई लक्षण नहीं होते हैं। ब्लड टेस्ट ब्लड टेस्ट के जरिए यह पता लगाने की कोशिश की जा सकती है कि आपके स्टूल से कोई ब्लड लॉस तो नहीं हो रहा है। इसके अलावा, ब्लड टेस्ट में रेड ब्लड सेल्स काउंट भी चेक किया जा सकता है क्योंकि बाउल कैंसर वाले लोगों में निम्न लाल रक्त कोशिकाएं आम हैं। कोलोनोस्कोपी बाउल कैंसर के लिए सबसे अच्छा परीक्षण एक कोलोनोस्कोपी है, जो बड़ी आंत की लंबाई की जांच करता है। गुदा में डाली गई लचीली ट्यूब के माध्यम से वायु को कोलन में पंप किया जाता है। ट्यूब के अंत में कैमरे के माध्यम से अबनॉर्मल टिश्यू को देखने की कोशिश की जाती है।
फ्लेक्सिबल सिग्मायोडोस्कोपी फ्लेक्सिबल सिग्मायोडोस्कोपी का उपयोग लोअर कोलन के बाईं ओर व रेक्टम की जांच के लिए किया जाता है। आगे की जांच के लिए किसी भी असामान्य ऊतक को हटाया जा सकता है। एमआरआई एक एमआरआई स्कैन शरीर के डिटेल्ड क्रॉस-सेक्शनल पिक्चर तैयार करता है, जिससे ट्यूमर या कैंसर का पता लगाना आसान हो जाता है। सीटी स्कैन सीटी स्कैन एक ही समय में कई अंगों की थ्री- डायमेंशनल तस्वीरें उत्पन्न करता है और बाउल की जांच के लिए इसका उपयोग किया जा सकता है। पीईटी स्कैन पॉज़िट्रॉन एमिशन टोमोग्राफी (पीईटी) स्कैन में, रेडियोधर्मी ग्लूकोज की एक छोटी मात्रा को शरीर में इंजेक्ट किया जाता है। स्कैन करने पर, कैंसर कोशिकाएं अधिक चमकदार दिखाई देंगी।

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