कभी आत्महत्या को थे मजबूर, आज बन गए कामयाब सिंगर
कोलकाता टाइम्स :
आज सूफ़ी गायक कैलाश खेर का जन्मदिन है। उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में जन्में कैलाश ने मात्र 13 साल की उम्र में घर छोड़ दिया था। लेकिन, संगीत से उनकी लगन बचपन से रही। संघर्ष करते, बच्चों को संगीत की ट्यूशन देते और अपने आप को निखारते एक दिन कैलाश खेर ने वो मुक़ाम पा ही लिया जो कभी उनका ख्वाब था।
कैलाश खेर ने लंबा संघर्ष किया है। बात 1999 की है जब वे हर तरफ से निराश होकर अपने एक दोस्त के साथ एक बिजनेस करने लगे। व्यापार में काफी घाटा हुआ और इसका असर ये हुआ कि कैलाश डिप्रेशन में चले गए। उन्होंने सुसाइड तक करने का सोचा। 2001 में दिल्ली यूनिवर्सिटी से पढ़ाई करने के बाद कैलाश खेर मुंबई आ गए। खाली जेब और घिसी हुई चप्पल पहने संघर्ष कर रहे कैलाश में संगीत के लिए कमाल का जूनून था। एक दिन उनकी मुलाक़ात संगीतकार राम संपत से हुई। उन्होंने कैलाश को कुछ रेडियो जिंगल गाने का मौक़ा दिया और फिर कहते हैं न कि प्रतिभा के पैर होते हैं, वो अपना मंज़िल तलाश ही लेती है। आज कैलाश खेर किसी पहचान के मोहताज़ नहीं। आइये सुनते हैं उनके 5 टॉप के सांग।
अपनी गायकी के लिए ‘पद्मश्री’ सम्मान से सम्मानित कैलाश ने हिंदी में 500 से ज्यादा गाने गाए हैं। इसके अलावा उन्होंने तमाम क्षेत्रीय भाषाओं में भी गाने गाए हैं। ‘तेरी दीवानी’ कैलाश के लोकप्रिय गानों में से एक है। कैलाश का ‘कैलाशा’ नाम से अपना बैंड भी है जो नेशनल और इंटरनेशनल शोज़ करता है। एल्बम- ‘वैसा भी होता है’ का ‘अल्लाह के बन्दे’ भी एक एस अगीत है जो कैलाश के फैंस हमेशा गुनगुनाते हैं।
दो बार फ़िल्मफेयर से बेस्ट सिंगर का अवार्ड जीत चुके कैलाश खेर के लिए ‘सैयां’ एल्बम का यह टाइटल सांग तो जैसे उनकी पहचान है। हाल में ‘बाहुबली 2’ में भी कैलाश खेर को आप सबने सुना होगा। बहरहाल, ‘बम लहिरी’ भी उनके लोकप्रिय गीतों में शामिल है।
फ़िल्म ‘दिल्ली 6’ का गीत ‘अर्जियां सारी’ को कैलाश खेर ने जावेद अली के साथ मिलकर गाया है। यह गीत भी काफी पॉपुलर है।