देश के लिए मेडल जीतने का था सपना, बन गए मशहूर फ़िल्ममेकर
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देश की राजधानी दिल्ली के एक होटल कर्मचारी के घर जन्में राकेश की कामयाबी की यात्रा काफी दिलचस्प रही है। फ़िल्म ‘फन्ने ख़ान’ के निर्माता के रूप में चर्चा बटोरने वाले डायरेक्टर राकेश ओम प्रकाश मेहरा के बारे में आइये जानते हैं कुछ खास दिलचस्प बातें।
देश के लिए मेडल जीतने का था सपना
साल 1982 की बात है। दिल्ली में एशियन गेम्स की तैयारी जोरों पर थी। पहली बार इंडिया एशियन गेम्स की मेजबानी कर रहा था। तमाम खिलाड़ी इसमें भाग ले रहे थे। उसी भीड़ में 19 साल का एक लड़का ऐसा भी था जो स्विमिंग के लिए एशियन गेम्स में इंडिया का प्रतिनिधित्व करने का मन लेकर पहुंचा था। लेकिन, होनी को कुछ और मंज़ूर था और उस लड़के का स्विमिंग के लिए फाइनल राउंड में चयन नहीं हो सका। आज वो देश का एक बड़ा फ़िल्ममेकर है। हम बात कर रहे हैं राकेश ओम प्रकाश मेहरा की।
एड फ़िल्मों से शुरू किया सफ़र
राकेश ओम प्रकाश मेहरा शुरू से काफी क्रिएटिव थे। किसी भी चीज़ को देखने का उनका एक अपना नजरिया था। उनकी यह क्वालिटी तब और निखरी गयी जब वो एड इंडस्ट्री से जुड़ गए। राकेश ने अपने करियर की शुरआत साल 1986 में एक एडवरटाइजिंग वेंचर से की। एडवरटाइजिंग कंपनी के तहत उन्होंने कई बड़ी कम्पनियों के लिए सैकड़ों एड बनाये।
अमिताभ को लेकर बनायी पहली फ़िल्म
नेशनल अवार्ड फ़िल्म विनर
आमिर खान स्टारर फ़िल्म ‘ रंग दे बसंती’ ने तो जैसे राकेश को पंख दे दिए। इस फ़िल्म ने बॉक्सऑफिस के साथ-साथ वर्ल्डवाइड बेहद अच्छी कमाई की। साथ ही इस फ़िल्म को फिल्मफेयर और नेशनल अवार्ड दोनों से सम्मानित किया गया। इसके अलावा इस फ़िल्म को बेस्ट फॉरिन लैंग्वेज अवार्ड से भी नवाजा गया और इस फ़िल्म की स्क्रीनिंग भी ऑस्कर में भी हुई थी।
फ़्लाइंग सिख ‘मिल्खा सिंह’ से मिलवाया नयी पीढ़ी को
हालांकि, ‘दिल्ली 6’ और ‘मिर्ज्या’ जैसी फ्लॉप फ़िल्में भी राकेश की फिल्मोग्राफी में शामिल हैं। लेकिन, ‘भाग मिल्खा भाग’ जैसी बायोपिक फ़िल्म बना कर राकेश ने एक भुला दिए गए सुपरस्टार खिलाड़ी को मानो फिर से ज़िन्दा कर दिया। इस फ़िल्म ने बॉक्स ऑफिस पर रिकॉर्ड तोड़ कमाई की, साथ ही कई अवार्ड्स भी अपने नाम किये।