July 4, 2024     Select Language
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सिर्फ एक साल में यहां महंगाई पहुंची 10, अरब क्रांति लाने वाले ट्यूनीशिया में रोटी के लाले 

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कोलकाता टाइम्स :

ट्यूनीशिया एक ऐसा देश जो पिछले कुछ दिनों से कई बार सुर्खियों में आया है. पहला मामला है फुटबॉल विश्व कप में उसका प्रदर्शन. उसने कतर में खेले जा रहे विश्व कप के मैच में पिछले दिनों हराकर काफी सुर्खियां बटोरी थीं. वहीं इससे अलग यह देश जिस वजह से आजकल चर्चा में है, वो है यहां के राजनीतिक और आर्थिक हालात. करीब एक दशक पहले जो देश ‘अरब स्प्रिंग’ (अरब क्रांति) का जनक था. जहां से प्रेरणा लेकर अरब जगत में मौजूद दूसरे देशों में भी तानाशाही को खत्म करने की आवाज उठने लगी थी, आज वही देश एक बार फिर से उसी रास्ते पर लौटता दिख रहा है. एक तरफ यहां की जनता रोटी के लिए परेशान है तो दूसरी तरफ रही सही कसर यहां के राष्ट्रपति की ओर से की जा रही हरकतों से निकल रही है. आइए जानते हैं क्या है इस देश की समस्या.

दरअसल, ट्यूनीशिया में एक सप्ताह बाद चुनाव होने हैं. चुनाव की वजह है वहां के राष्ट्रपति की तरफ से किए गए संवैधानिक बदलाव जिससे अब चुनाव फिर से होना जरूरी हो गया है. वहीं दूसरी तरफ बड़ी संख्या में लोग इसके विरोध में हैं. उनका मानना है कि जो बदलाव राष्ट्रपति ने किए हैं वो खुद को मजबूत बनाने क लिए किए हैं. इन नीतियों से न सिर्फ लोग परेशान होंगे, बल्कि देश की संसद कमज़ोर हो जाएगी. दरअसल ट्यूनीशिया के राष्ट्रपति कैस सईद ने वर्ष 2021 में संसद भंग करने के साथ ही प्रधानमंत्री को बर्खास्त कर दिया था. तब से वह खुद सत्ता चला रहे थे. इस साल उन्होंने कई संवैधानिक बदलाव करते हुए राष्ट्रपति पद को पहले से भी अधिक पावरफुल बना दिया है. अब राष्ट्रपति की शक्तियां भी बढ़ गई हैं. ट्यूनीशिया के मौजूदा राष्ट्रपति कैस सईद को कई साल के आंदोलन और तानाशाह बेन अली को सत्ता से हटाने के बाद वर्ष 2019 में कुर्सी मिली थी. तब के संविधान के के मुताबिक सईद को प्रधानमंत्री के साथ सत्ता में साझेदारी करनी थी. लेकिन राष्ट्रपति बनने के दो साल बाद ही उन्होंने अचानक संसद को निलंबित कर दिया.

ट्यूनीशिया के लोग लगातार ख़राब हो रही आर्थिक स्थिति से भी परेशान हैं. यहां हालात कितने बुरे हैं इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ट्यूनीशिया में पिछले 12 महीनों से महंगाई लगातार बढ़ रही है. इस महीने महंगाई की दर 10  के क़रीब पहुंच गई है.

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