इसके पाठ से मिलेगी नेत्र रोगों से मुक्ति
आजकल की दिनचर्या और जीवनशैली कुछ ऐसी हो गई किहर व्यक्ति मोबाइल फोन, लैपटाप, कंप्यूटर, टैब आदि पर काम करता रहता है। इस कारण नेत्ररोग भी बड़ी संख्या में बढ़ रहे हैं। कम आयु में बच्चों को चश्मा लगना आम बात हो गई है। नेत्र रोगों को शीघ्र दूर करने के लिए उपनिषदों में कुछ प्रयोग बताए गए हैं। जिन्हें विधि विधान से करने से नेत्र रोग दूर हो जाते हैं। एक चमत्कारिक प्रयोग चाक्षुषोपनिषद में बताया गया है। चाक्षुषोपनिषद मुख्यत: चाक्षुषी विद्या की ही व्याख्या करता है। जिसके पाठ से अद्भुत रूप से शीघ्र ही नेत्र रोगों से मुक्ति मिल जाती है। इस विद्या के ऋषि अहिर्बुधन्य हैं, गायत्री छंद है, सूर्य देवता हैं और नेत्र रोगों की निवृत्ति इसका विनियोग है।
कैसे करें प्रयोग नेत्र रोग से पीड़ित व्यक्ति को प्रतिदिन प्रात:काल हल्दी का घोल बनाकर अनार की शाखा की कलम से निम्न मंत्र मम चक्षुरोगान् शमय शमय और नीचे दिए गए यंत्र को कांसे के पात्र में लिखना चाहिए। फिर उसी मंत्र पर तांबे की कटोरी में चार बत्तियों वाला घी का दीपक जलाकर रख दें तथा गंध पुष्पादि से विधिवत उस यंत्र का पूजन करें।
फिर पूर्वाभिमुख होकर ऊं ह्लीं हंस: इस बीजमंत्र की 6 मालाएं जापकर नेत्रोपनिषद के 12 पाठ करें। पाठ के उपरांत पुन: बीजमंत्र की 5 मालाओं का जाप करके सूर्य भगवान को अर्घ्य देकर प्रणाम करें। ऐसा करने से चमत्कारिक रूप से नेत्ररोग से मुक्ति मिल जाती है। यंत्र कैसे बनाएं यंत्र 16 खानों का बनता है। चार लाइनें खड़े खाने और चार लाइन आड़े खाने बनेंगे। इस प्रकार 16 खाने बनेंगे। अब सबसे ऊपर वाली लाइन के चारों खानों में क्रमश: 8, 15, 2, 6 लिखें। दूसरी लाइन में 6, 3, 12, 11 लिखें। तीसरी लाइन में 14, 9, 8, 1 लिखें और चौथी लाइन में 4, 5, 10, 13 लिखें। नेत्रोपनिषद की पुस्तक बाजार में मिल जाती है जिसमें से देखकर पाठ करना होगा।