नाखून से भी छोटी कैप्सूल को देख पुरे ऑस्ट्रेलिया में मच गयी खलबली, फिर …
बता दें कि ये कैप्सूल 12 जनवरी को पर्थ के लिए रवाना किया गया था, लेकिन पर्थ पहुंचने के बाद 25 जनवरी को जब इसे इंस्पेक्शन के लिए खोला गया तो, जिस बॉक्स में इसे रखा गया था, वो टूटा हुआ मिला और उसके अंदर मौजूद ये कैप्सूल भी गायब था. 8 मिलीमीटर लंबे और 6 मिलीमीटर चौड़े इस कैप्सूल में कैसियम-137 नाम का रेडियोएक्टिव तत्व भरा था और इससे लगातार ताकतवर रेडिएशन निकल रहा था. और अगर कोई इंसान इसके आसपास भी आ जाता तो उसे भी नुकसान पहुंच सकता था क्योंकि इसका रेडिएशन इतना ताकतवर था, जैसे एक घंटे के अंदर किसी के 10 एक्सरे कर दिए जाएं.
यही नहीं अगर ये रेडियोएक्टिव कैप्सूल गलत हाथों में लग जाता तो, ये और भी खतरनाक साबित हो सकता था. इसीलिए इसे ढूंढने के लिए ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने पूरी ताकत झोंक दी. सेना उतारने के साथ न्यूक्लियर एक्सपर्ट की टीमों को भी इसे खोजने के काम में लगा दिया गया. लेकिन सबसे बड़ी चुनौती ये थी कि जिस रास्ते से इसे ले जाया गया था, वो 1400 किलोमीटर लंबा था और इतने बड़े रास्ते में एक नाखून जितने छोटे कैप्सूल को खोजना भूसे के ढेर में सुई ढूंढने से कम मुश्किल काम नहीं था.
हालांकि इस काम में रेडिएशन को पकड़ने वाले खास तरह के उपकरणों की मदद ली गई और आखिरकार इसे सड़क किनारे कचरे के ढेर से ढूंढ निकाला गया. इस कैप्सूल के अंदर जो कैसियम-137 नाम का तत्व मौजूद था, वो बीटा और गामा किरणे छोड़ता है, और इस तरह के कैप्सूल का इस्तेमाल कई तरह के उद्योगों में मटेरियल की डेंसिटी नापने के लिए किया जाता है.