सिर्फ अपने साथियों की नहीं शत्रुओं की जानकारी जरूर रखें
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कोलकाता टाइम्स :
एक दिन श्रीकृष्ण और पांडवों की चर्चा चल रही थी। श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर से कहा कि आप चक्रवर्ती राजा बनेंगे तो सभी राजा आपके अधीन हो जाएंगे, लेकिन जरासंध आपका विरोध करेगा। जब तक जरासंध जीवित है, धर्म की स्थापना नहीं हो पाएगी, क्योंकि जरासंध सभी विरोधी राजाओं का प्रमुख बन गया है।
श्रीकृष्ण ने आगे कहा कि जरासंध ने शिशुपाल को अपना सेनापति बनाया है। बहुत से पराक्रमी योद्धा जरासंध की शरण हैं। मैंने कंस का वध किया था तो वह मुझे शत्रु मानता है। जरासंध कंस का ससुर था। इसके बाद श्रीकृष्ण ने जरासंध के सभी सहयोगी राजाओं के नाम बता दिए। उन्होंने आगे कहा कि हमें जरासंध को कूटनीति से ही पराजित करना होगा।
युधिष्ठिर ने श्रीकृष्ण से कहा कि आप ही बताइए, हम उसे कैसे पराजित कर सकते हैं?
श्रीकृष्ण ने योजना बताई कि मैं, अर्जुन और भीम जरासंध के राज्य में जाएंगे और कूटनीति से जरासंध को पराजित करेंगे।
श्रीकृष्ण ने सभी पांडवों को पूरी योजना बता दी।
युधिष्ठिर श्रीकृष्ण की बातें बहुत ध्यान से सुन रहे थे। जब श्रीकृष्ण ने अपनी बातें पूरी कर दीं तो युधिष्ठिर ने कहा कि आज मैं समझ गया हूं कि आप हर एक काम पूरी तैयारी के साथ ही करते हैं। आपके हर काम के पीछे आपकी पूरी तैयारी होती है, इसी वजह से आप अपनी योजना में सफल होते हैं। आपके पास जरासंध की और उसके सभी साथियों की पूरी जानकारी है। आप ये भी जानते हैं कि जरासंध का वध कैसे होगा। ये हमारे लिए सीखने की बात है।
इसके बाद श्रीकृष्ण, भीम और अर्जुन जरासंध के राज्य में गए। अपनी योजना के अनुसार श्रीकृष्ण ने जरासंध और भीम का युद्ध करवाया, जिसमें भीम ने जरासंध का वध कर दिया।
श्रीकृष्ण की सीख
इस प्रसंग में श्रीकृष्ण ने संदेश दिया है कि हमें जब भी कोई बड़ा काम करना हो तो उससे जुड़ी पूरी जानकारी हासिल कर लेनी चाहिए। काम से जुड़ी छोटी-छोटी बातें भी मालूम होंगी तो सफल होने की संभावनाएं काफी बढ़ जाएंगी।