लड़कियों की क्रांति कुचलने के लिए हजारों के साथ किया ऐसा खौफनाक काम सुनकर आप भी सहम जाएंगे
महिलाओं पर अपनी मनमर्जियां थोपने के आदी रहे मजहबी ठेकेदारों के लिए ईरान में महिलाओं की शिक्षा का हक मांगना बर्दाश्त के बाहर है. लिहाजा, उन्होंने इस क्रांति को कुचलने का एक नया रास्ता निकाला है. ऐसा तरीका जिसके बारे में सुन कर आप भी सहम जाएंगे. दरअसल, ईरान के कुम शहर में सैकड़ों स्कूली छात्राओं को इसलिए जहर दे दिया गया है, ताकि वो स्कूल न जा सकें.
शुरुआती जानकारी के अनुसार, ये एक तरह का केमिकल अटैक है और इस अटैक के जरिए ईरान के चार शहरों के 14 स्कूलों में पढ़ने वाली छात्राओं को निशाना बनाया गया. एक-एक कर जब बड़े पैमाने पर छात्राएं बीमार पड़ने लगीं, तब जाकर इस मामले का खुलासा हुआ. ईरान के स्वास्थ्य मंत्री यूनुस पनाही ने इस घटना की पुष्टि की है और उनके अनुसार ईरान के पवित्र शहर कुम और आसपास के कई इलाकों में बड़ी संख्या में स्कूली छात्राओं को जहर दिया गया है. ऐसा इसलिए किया गया है, ताकि इन लड़कियों का स्कूल जाना बंद कराया जा सके.
इसमें ईरान का पवित्र शहर कुम भी शामिल है, कुम को रूढ़िवादी और धार्मिक तौर पर कट्टर शहर माना जाता है, जहां धार्मिक शिक्षा के कई बड़े केंद्र भी मौजूद हैं. और इसीलिए छात्राओं पर हुए इस केमिकल अटैक के पीछे कट्टरपंथियों का हाथ होने की आशंका भी जताई जा रही है, हालांकि इस घटना के पीछे कौन है, इसकी जानकारी सामने नहीं आई है. लेकिन, वहां से जो वीडियो सामने आए हैं, वो बेहद परेशान करने वाले हैं. सोशल मीडिया पर वायरल इन वीडियोज में बड़ी संख्या में स्कूली छात्राएं अस्पताल में भर्ती दिख रही हैं, जबकि अस्पतालों और स्कूलों के बाहर एम्बुलेंस की कतारें भी नजर आ रही हैं.
अलग-अलग मीडिया रिपोट्स के अनुसार स्कूली छात्राओं को जहर देने का ये सिलसिला नया नहीं है और पिछले कई महीनों से ऐसा किया जा रहा है, लेकिन न तो अब तक सरकार ने इस पर ध्यान दिया और न ही ये पता चल पाया कि इसके पीछे कौन है. लेकिन, इस बार मामला बड़ा है, और जब एक साथ बड़ी संख्या में छात्राएं बीमार पड़ने लगीं, तो सरकार को खुद सामने आना पड़ा.
छात्राओं पर केमिकल अटैक का ये मामला ऐसे वक्त सामने आया है, जबकि ईरान में एंटी हिजाब प्रोटेस्ट चल रहे हैं और इसीलिए कई मानवाधिकार कार्यकर्ता इस मामले को भी एंटी हिजाब मूवमेंट से जोड़कर देख रहे हैं. क्योंकि, रिपोर्ट्स के अनुसार जनवरी के अंत तक इन प्रदर्शनों में 525 प्रदर्शनकारी मारे जा चुके हैं, जिनमें 71 नाबालिग भी शामिल हैं. यही नहीं 4 प्रदर्शनकारियों को फांसी दी जा चुकी है, जबकि 20 हज़ार से ज्यादा लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं.