धर्मेन्द्र की क्यों नहीं बनीं नूतन
कोलकाता टाइम्स :
आर पार’, देवदास, सुजाता और बंदिनी जैसी महान फिल्मों को लिखने के लिए नबेंदु घोष को आज भी याद की जाती है। क्लासिकल फिल्म दो बीघा जमीन, सुजाता,बंदिनी ,देवदास, अभिमान,तीसरी कसम ,माँ, परख आदि की चर्चा करते हुए नबेंदु घोष के बेटे शुभांकर घोष ने बताया कि राजकपूर और तीसरी कसम फिल्म के डिस्ट्रीब्यूटर इसके अंत से खुश नहीं थे, जिसके बाद नबेंदु घोष को कहा गया कि इस एन्ड बदलना पड़ेगा, मगर नबेंदु घोष अपनी जिद पर अड़े रहे और उन्होंने शर्त रख दिया कि अगर एंड बदलना हो तो फिल्म का टाइटल तीसरी कसम भी बदलना होगा। फिल्म बिना बदलाव के प्रदर्शित हुई और एक यादगार बनी। आज ऐसी स्वतंत्रता लेखकों को कम मिलती है।
पता चला कि, नबेंदु घोष की क्लासिकल फिल्म बंदिनी में भी बदलाव की बात थी और अभिनेत्री निर्माता चाहते थे कि नूतन, धर्मेंद्र की लवर बने और अंत में उन्हीं के साथ रहें लेकिन नबेंदु घोष ने ऐसा करने से साफ मना कर दिया।
नबेंदु घोष की फिल्म माँ के प्रिंट काफी सहेज कर रखी गयी है। इस दौरान शकील वारसी ने बताया कि किस तरह तीसरी कसम का गाना शैलेन्द्र जी ने राजकपूर जी के डर से बाथरूम में छिपकर लिखा था। शैलेन्द्र इस फिल्म के निर्माता और गीतकार दोनो थे। शैलेन्द्र ने शूटिंग शुरू करा दी लेकिन इस फिल्म के गाने कंप्लीट नही थे।ये बात राजकपूर जी को पता चली तो वे गुस्से में शैलेन्द्र जी के घर आ गये। शैलेन्द्र जी को पता चला कि राजकपूर साहब गुस्से में आये हैं तो वे बाथरूम में छिप गए और वहां तुरंत उनके दिमाग मे ये गीत आया। बाहर निकलकर शैलेन्द्र जी राजकपूर जी के सामने गए तो राजकपूर साहब ने पूछा इस फिल्म का गीत अब तक क्यों नहीं लिखा गया और शैलेन्द्र जी ने कहा कि गीत लिख दिया हूँ ।ये गीत ‘सजन रे झूठ मत बोलो खुदा के पास जाना है… आज भी सदाबहार है।