शुरुआती जीवन में टेंशन से छोटा हो सकता है दिमाग!
अमेरिका के विस्कोंसिन-मेडिसन विश्वविद्यालय के साइकोलॉजी के प्रोफेसर सेठ पॉलक कहते हैं, ‘हम इस बात को वास्तव में नहीं समझे कि जब हम दो, तीन या चार साल के होते हैं और हमारे साथ कोई घटना घटती है, तो उसका असर लंबे समय तक क्यों रहता है.’
पॉलक के मुताबिक, अवसाद, घबराहट, हृदय रोग, कैंसर और शैक्षिक व रोजगार असफलता के पीछे प्रारंभिक जीवन का तनाव ही है.
शोधकर्ताओं ने प्रारंभिक जीवन में शारीरिक शोषण, उपेक्षा या निचले सामाजिक आर्थिक स्थिति के परिवारों से आने वाले 12 साल के आसपास की उम्र के 128 बच्चों पर अध्ययन किया.
उन्होंने बच्चों के मस्तिष्क में भावनाओं और तनाव को नियंत्रित करने वाले हिपोकैंपस और एमिगडाला की तस्वीरें उतारीं. इन तस्वीरों को सामान्य बच्चों के मस्तिष्क के इसी भाग की तस्वीरों से तुलना की गई.
वैसे बच्चे, जिन्होंने प्रारंभिक जीवन के दौरान उपरोक्त तीनों में से किसी एक तनाव को झेला था, उनमें एमिगडाला का आकार छोटा पाया गया. साथ ही ऐसे बच्चों के हिपोकैंपस का आयतन भी कम पाया गया.
ड्यूक विश्वविद्यालय के जैमी हैंसन ने कहा, ‘प्रारंभिक जीवन के तनावों से मस्तिष्क के आकार पर क्यों फर्क पड़ता है यह अभी तक अज्ञात है.’ यह रिसर्च’ बायोलॉजिकल साइकेट्री’ में प्रकाशित हुई है.