September 29, 2024     Select Language
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त्वचा के इस रंग का इलाज है सम्‍भव, जाने आयुर्वेदिक उपाय

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कोलकाता टाइम्स : 
फेद दाग, यानी विटिलाइगो को लेकर तरह-तरह के भ्रम हैं। लोग इसे लाइलाज बीमारी मानते हैं, जबकि डॉक्टरों के मुताबिक यह एक कॉस्मेटिक प्रॉब्लम है और इसका इलाज बहुत हद तक मुमकिन है। इस बीमारी में बॉडी के किसी खास हिस्से का पिगमेंटेशन यानि ओरिजनल कलर खत्म होने लगता है और वहां पर व्हाइट पैचेस उभर आते है। विटिलिगो यानि सफेद दाग किसी को भी कभी भी हो सकते हैं।
कई लोग इसे छूत की बीमारी मानते है लेकिन ये सिर्फ एक कॉस्‍मेटिक बीमारी हैं लेकिन इसका इलाज सम्‍भव है।
विटिलिगो का कारण क्या है? 
विटिलिगो का कारण पता लगाना मुश्किल होता हैं क्यूंकि विटिलिगो एक ऑटोइम्यून बीमारी है। ये रोग तब होता हैं जब आपका इम्यून सिस्टम में कुछ खराबी आने से आपके शरीर के कुछ हिस्से इससे प्रभावित हो जाते हैं। विटिलिगो के रोग में इम्यून सिस्टम त्वचा में मेलेनोसाइट्स को खत्म कर देता हैं जिसके कारण सफ़ेद पैच आ जाते हैं। व्यक्ति में एक से अधिक जीन भी इस विकार को उत्पन्न कर देते हैं। कुछ शोधकर्ताओं के अनुसार विटिलिगो का कारण शरीर में मेलानोसाइट्स का स्वयं नष्ट हो जाना या अधिक सनबर्न होना हो सकता है।
विटिलिगो के लक्षण क्या हैं? 
शरीर की त्वचा पर सफेद पैच विटिलिगो का मुख्य लक्षण है। शरीर की त्वचा पर यह पैच उन भागों पर अधिक दिखाई देता है जहां सूरज किरणे पड़ती हैं जैसे हाथ, पैर, चेहरा और होंठ। अन्य लक्ष्ण बगल के आसपास, मुंह के आसपास, आंखें, नथुने, नाभि, गुप्तांग, गुदा क्षेत्र आदि के आस-पास सफ़ेद पैच होना। सिर के बालों का समयपूर्व भूरा होना। मुंह के अंदर रंग की कमी
वजहें –
फैमिली हिस्ट्री, यानी अगर पैरंट्स सफेद दाग से पीड़ित रहे हैं तो बच्चों में इसके होने की आशंका रहती है। हालांकि ऐसे मामले 2 से 4 फीसदी ही होते हैं।
– एलोपेशिया एरियाटा यानी वह बीमारी, जिसमें छोटे-छोटे गोले के रूप में शरीर से बाल गायब होने लगते हैं।
– सफेद दाग मस्से या बर्थ मार्क से। मस्सा या बर्थ मार्क बच्चे के बड़े होने के साथ-साथ आसपास की स्किन का रंग बदलना शुरू कर देता है।
– केमिकल ल्यूकोडर्मा यानी खराब क्वॉलिटी की चिपकाने वाली बिंदी या खराब प्लास्टिक की चप्पल इस्तेमाल करने से।
– ज्यादा केमिकल एक्सपोजर यानी प्लास्टिक, रबर या केमिकल फैक्ट्री में काम करने वाले लोगों को खतरा ज्यादा। कीमोथेरपी से भी इसकी आशंका रहती है।
– थाइरॉयड संबंधी बीमारी होने पर। तांबे के बर्तन में पीएं पानी तांबा तत्व, त्वचा में मेलेनिन के निर्माण के लिए बेहद आवश्यक है। इसके लिए तांबे के बर्तन में रातभर पानी भरकर रखें और सुबह खाली पेट पिएं। बरसों पुराना यह तरीका मेलेनिन निर्माण में सहायक है।
नारियल तेल 
यह त्वचा को पुन: वर्णकता प्रदान करने में सहायक है साथ ही त्वचा के लि‍ए बेहतर। इसमें जीवाणुरोधी और संक्रमण विरोधी गुण भी पाए जाते हैं। प्रभावित त्वचा पर दिन में 2 से 3 बार नारियल तेल से मसाज करना फायदेमंद साबित हो सकता है।
बथुए का पत्तियां 
इनकी पत्तियों का इस्तेमाल भी सफेद दाग के उपचार के तौर पर किया जाता है। सब्जी बनाने से लेकर इसकी पत्तियों का रस लगाने से भी काफी आराम मिलता है।
हल्दी सरसों के तेल के साथ हल्दी पाउडर का लेप 
इसके लिए 1 कप सरसों के तेल में 5 बड़े चम्मच हल्दी पाउडर डालकर मिलाएं और इस लेप को दिन में दो बार प्रभावित त्वचा पर लगाएं। 1 साल तक इस प्रयोग को लगातार करें।
नीम 
नीम एक बेहतरीन रक्तशोधक और संक्रमण विरोधी तत्वों से भरपूर औषधि है। नीम के पत्त‍ियों को छाछ के साथ पीसकर इसका लेप बनाकर त्वचा पर लगाएं। जब यह पूरी तरह सूख जाए तो इसे धो लें। इसके अलावा आप नीम के तेल का प्रयोग भी कर सकते हैं और नीम के जूस का सेवन भी कर सकते हैं।
इन चीजों से रहें ध्‍यान 
ज्‍यादा नमक का सेवन न करें।
दूध से बनी चीजों का सेवन कम करें। दूध और मछली का सेवन कभी भी एक साथ न करें।
कड़वी सब्जियों का सेवन अधिक से अधिक करें।
खट्टे फल, मांसाहारी भोजन, दही, बासी भोजन और उरद दाल के सेवन से बचें।
योग और ध्यान से तनाव को कम करें।
खदीरा, बाकूची, भल्लाटक, मुलाका, दरुहरिद्र, अरागढ़, हरितकी आदि कुछ दवाएं विषाणुओं के उपचार में प्रयोग की जाती हैं।

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