July 3, 2024     Select Language
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आपकी नाक खोलती है खतरनाक बिमारियों के राज 

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कोलकाता टाइम्स :  
पकी सेहत के बारे में ऐसी कई बाते हैं जिनके बारे में आपकी नाक से पता चल सकता है और आपने खुद इनके बारे में कभी सोचा तक नहीं होगा। नाक ज़रा सी लाल हो जाए तो ये सर्दी-जुकाम का संकेत होती है लेकिन इसके अलावा भी नाक आपके बारे में और बहुत कुछ बता सकती है जैसे कि आप अपनी नाक से कोई ऐसी गंध भी महसूस कर सकते हैं जोकि आपके आसपास नहीं होती है और ऐसी किसी परिस्थिति के बारे में आपको पता होना चाहिए। नाक की शेप से लेकर उसकी सूंघने तक की क्षमता और उसके रंग से आपकी सेहत का हाल बताया जा सकता है।
आज हम आपको नाक के बारे में कुछ दिलचस्‍प बातें बताने जा रहे हैं जिनके बारे में आपको जरूर पता होना चाहिए।
नाक से खून आना :
हम में से कई लोगों की नाक से खून आता है और इसका कारण शुष्‍क हवा को बताया जाता है जिसकी वजह से हमारी नाक की झिल्‍ली से मॉइश्‍चर उड़ जाता है और बैक्‍टीरियल इंफेक्‍शन होने का खतरा रहता है। नाक से खून आना किसी गंभीर समस्‍या का संकेत तो नहीं है पर ये निम्‍न बीमारियों का लक्षण जरूर हो सकता है :
वंशानुगत : हेमोरेजिक टेलंगिएस्‍तासिआ इस बीमारी को एचएचटी भी कहा जाता है। ये बहुत दुर्लभ अनुवांशिक बीमारी है जिसमें नाक से खून आता है और रक्‍त वाहिकाएं कमजोर हो जाती हैं। अगर आपको हाथ, चेहरे या पैरों में लाल रंग के छोटे दाग नज़ आ रहे हैं या सुबह उठने पर आपका तकिए पर खून रहता है तो आपको तुरंत डॉक्‍टर से संपर्क करना चाहिए। ये बीमारी हार्ट स्‍ट्रोक या फेफडों में ब्‍लड क्‍लॉट का कारण बन सकती है।
सूखा साइनस : इसमें नाक, मुंह सूख जाता है और साइनस कैविटी इनमें दर्द और संवेदना पैदा करती है। ये नॉस्ट्रिल की त्‍वचा को क्रैक भी कर देती है और उसे शुष्‍क बना देती है जिससे नाक से खून बहने लगता है।
अन्‍य कारण : नाक से खूने आने के और भी कई कारण हो सकते हैं जैसे कि हेमोफिलिआ, ब्‍लड थिनर्स, नेज़ल स्‍प्रे, एस्प्रिन आदि। अगर आपको नाक से खून आने की वजह से सांस लेने में दिक्‍कत हो रही है या 30 मिनट से ज्‍यादा समय से नाक से खून बह रहा है तो तुरंतु चिकित्‍सक को दिखाएं।
सूंघने की क्षमता खत्‍म : अगर आपकी सूंघने की क्षमता कम या कमजोर होती जा रही है तो ये डायबिटीज़ या नेज़ल पॉलिप्‍स का कारण हो सकता है।
आइए जानते हैं इसके बारे में ..
डायबिटीज़ : वैसे तो डायबिटीज़ और सूंघने की क्षमता के बीच कोई खास संबंध नहीं पाया गया है कि लेकिन इस बीमारी में हाई ब्‍लड शुगर की वजह से शरीर के कई अंगों को नुकसान पहुंचता है और रक्‍त वाहिकाएं एवं नसें भी क्षतिग्रस्‍त होने लगती हैं एवं ये सब आपके सेंस ऑर्गंस की कार्यप्रणाली में अहम भूमिका निभाती हैं। डायबिटीज़ के एंडोक्राइन सिस्‍टम को प्रभावित करने की संभावना है जिसमें हमारे शरीर के हार्मोन बनाने वाले सभी ग्‍लैंड्स मौजूद रहते हैं। ये नाक की कार्य प्रणाली में भी हस्‍तक्षेप कर आपकी सूंघने की क्षमता को प्रभावित करते हैं।
नेज़ल पॉलिप्‍स : ये किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाती है और ना ही इसमें कोई दर्द होता है। इनमें नेज़ल के मार्ग में रुकावट आने गलती है और ये सही कोशिकाओं को सूंघने की शक्‍ति नहीं दे पाते हैं। सर्जरी या दवाओं की मदद से इस बीमारी से छुटकारा पाया जा सकता है। न्‍यूरो डिजेनरेटिव रोग अगर आपको लग रहा है कि आपकी सूंघने की क्षमता कम होती जा रही है तो आपको तुरंत डॉक्‍टर से संपर्क करना चाहिए क्‍योंकि ये न्‍यूरोडिजेनरेटिव रोगों जैसे कि अल्‍जाइमर या पार्किंसन रोग का लक्षण हो सकता है। ये बीमारियां लाईलाज होती हैं इसलिए शुरुआती लक्षण दिखने पर ही इसका ईलाज जरूरी है।
फैंटम स्‍मैल : ये उस अच्‍छी और बुरी सुगंध से संबंधित है जो कि है ही नहीं। ये किसी गंभीर बीमारी का कारण हो सकता है। इसमें एक या दोनों ही नॉस्ट्रिल प्रभावित होते हैं।
फैंटम स्‍मैल के ये कारण हो सकते हैं : 
साइनस इंफेक्‍शन : साइनस इंफेक्‍शन की वजह से भी फैंटम स्‍मैल की परेशानी हो सकती है। इस इंफेक्‍शन से बचने के लिए डॉक्‍टर आपको सलाइन वॉटर सॉल्‍यूशन का इस्‍तेमाल करने के लिए कह सकते हैं। कुछ महीनो में फैंटम स्‍मैल की समस्‍या अपने आप ठीक हो जाती है।
मस्तिष्‍क विकार : आपको एक नहीं बल्कि कई बार ऐसी गंध आ सकती है जो आपके आसपास मौजूद ही ना हो। ये दिमाग में लगी किसी चोट, ब्रेन ट्यूमर, न्‍यूरोडिजेनरेटिव रोग आदि की वजह से हो सकता है। इस बीमारी की गंभीरता को देखते हुए आपको तुरंत चिकित्‍सकीय सलाह लेनी चाहिए ताकि इसके असल कारण के बोर में पता चल सके और इसका जल्‍दी से ईलाज शुरु हो सके।
रोसेशिया : इसमें नाक की त्‍वचा लाल और मोटी हो जाती है। गंभीर रोसेशिया को राइनोफाइमा कहा जाता है जिसमें नाक का आकार बदल जाता है और सांस लेने में दिक्‍कत होती है। ये बीमारी पुरुषों में ज्‍यादा होती है।
नेज़ल म्‍यूकस : क्‍या आप जानते हैं कि नेज़ल म्‍यूकस के रंग से भी आप संक्रमण का पता लगा सकते हैं। म्‍यूकस का रंग : अगर आपकी स्‍नॉट पीली या हरी है तो ये किसी वायरल या बैक्‍टीरियन इंफेक्‍शन का संकेत हो सकता है। आपको तुरंत डॉक्‍टर से सलाह लेकर दवाओं और एंटीबायोटिक्‍स की मदद से इस इंफेक्‍शन का ईलाज करवाना चाहिए।
ब्राउन म्‍यूकस : कई कारणों से आपकी स्‍नॉट का रंग ब्राउन हो सकता है। इसका कारण गंभीर वायु प्रदूषण, तंबाकू का अत्‍यधिक इस्‍तेमाल और खून का सूख जाना हो सकता है। अगर आपके आसपास बहुत प्रदूषण रहता है तो आपको बाहर निकलने से बचना चाहिए और घर पर ही वर्कआउट करना चाहिए। इसके अलावा बाहर निकलने से पहले चेहरे पर मास्‍क जरूर पहन लें।
काला म्‍यूकस : अगर आपके नेज़ल म्‍यूकस का रंग काला है तो ये किसी गंभीर बीमारी या फंगल इंफेक्‍शन का लक्षण हो सकता है जोकि आपके श्‍वसन तंत्र में फंगस की वजह से हुआ हो। ये सांस लेने के दौरान ज्‍यादा धूल जाने की वजह से भी हो सकता है। इसके सटीक कारण का पता लगाने के लिए तुरंत डॉक्‍टर से परामर्श करें।

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