November 23, 2024     Select Language
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इस एक तरीके से महिलाएं बढ़ा सकती हैं 17% ऑर्गज़्म की समय 

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कोलकाता  टाइम्स :
सेक्सुअल संतुष्टि हर इंसान की ज़िंदगी के लिए अहम होती है। इसे लोग अपने पार्टनर के साथ या फिर अकेले मास्टरबेट करके हासिल करते हैं। कई महिलाएं ऑर्गज़्म पाने के लिए खुद से मास्टरबेट करती हैं और कई बार वो मार्किट में उपलब्ध अलग अलग तरह के टॉय का इस्तेमाल करती हैं। इसी को आधार बना कर एक स्टडी की गयी है। इस स्टडी में ये जानने का प्रयास किया गया है कि महिलाओं द्वारा खुद से मास्टरबेट करना और वाइब्रेटर की मदद से ऑर्गज़्म पाने में क्या अंतर है। इस रिसर्च में जुड़े लोग इस स्टडी का नतीजा जान कर काफी हैरान रह गए।
इस रिसर्च में उन्होंने गौर किया कि महिलाएं जब वाइब्रेटर का इस्तेमाल करती हैं तब वो ऑर्गज़्म पाने से पहले लंबा समय गुज़ारती हैं और इसके लिए उन्हें ज़्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती है। इस स्टडी में और भी कई बातें सामने आईं, इस बारे में विस्तार से जानने के लिए पढ़ें ये लेख।
एक सेक्स टॉय कंपनी ने करवाया ये रिसर्च ये रिसर्च एक सेक्स टॉय कंपनी द्वारा आयोजित करवाया गया जिसमें पाया गया कि वाइब्रेटर का इस्तेमाल करके महिलाओं को ऑर्गज़्म तक पहुंचने के लिए औसतन 26.4 मिनट तक का समय लगता है, जो बिना वाइब्रेटर की मदद से खुद से मास्टरबेट करके ऑर्गज़्म तक पहुंचने वाली अवधि से कहीं ज़्यादा है। दरअसल इस रिसर्च में शामिल महिलाओं ने मैन्युअली मास्टरबेट करके ऑर्गज़्म पाने में 6.5 मिनट का औसत समय लिया।
उनका अनुमान हुआ गलत रिसर्च करने वाले एक्सपर्ट उस वक़्त हैरान रह गए जब इस स्टडी का रिजल्ट उनकी उम्मीद के बिल्कुल विपरीत निकला। उन्होंने खुलासा किया कि उनका अनुमान था कि इस रिसर्च में वाइब्रेटर का इस्तेमाल नहीं करने वाली महिलाएं, टॉय का प्रयोग कर रही महिलाओं की तुलना में ऑर्गज़्म तक पहुंचने में ज़्यादा समय लेंगी। आखिर किस वजह से ऑर्गज़्म तक पहुंचने की अवधि हुई लंबी इस स्टडी में ये बात सामने आई कि महिलाओं को सेक्स टॉय के साथ खेलना पसंद आता है और वो एंजॉय करने के तरीके तलाशती हैं और इस वजह से ही उनका सेक्सुअल सेशन लंबा हो जाता है। मैन्युअली मास्टरबेट करने की तुलना में वो ज़्यादा उत्साहित और रोमांचित महसूस करती हैं।
इस रिसर्च में ये भी पाया गया कि वाइब्रेटर का प्रयोग करने से महिलाओं का ब्रेनवेव लेवल तेज़ गति से बढ़ जाता है जिसका मतलब है कि ऑर्गज़्म तक पहुंचने में उन्हें ज़्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती है।

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