जवाहर, शिव, तिरंगा ने ढक दिया चंद्रयान को, चाँद के इन दो पॉइंट को ले मचा है बवाल?
कोलकाता टाइम्स :
चंद्रयान लैंडिंग होते ही भारत दुनिया का पहला देश बन गया जिसने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग की है. इधर चंद्रयान-3 ने चांद की सतह पर जहां लैंडिंग की है उसे ‘शिवशक्ति पॉइंट’ नाम दे दिया गया है. यह एक वैज्ञानिक नियम है कि जिस जगह लैंडर उतरता है उसका नामकरण किया जाता है. दुनिया के अन्य तीन देशों ने भी ऐसा ही किया है जिन्होंने चांद पर लैंडिंग की है. ‘शिवशक्ति पॉइंट’ के साथ ही चंद्रयान-2 मिशन वाली जगह का भी नामकरण किया गया और उसे ‘तिरंगा पॉइंट’ नाम दिया गया. अब इन दो नामों को लेकर चर्चा है तो वहीं चंद्रयान-1 वाले पॉइंट को लेकर राजनीति भी शुरू हो गई है.
दरअसल, मनमोहन सरकार में चंद्रयान-1 की इम्पैक्ट साइट को ‘जवाहर पॉइंट’ नाम दिया गया था. अब इस सरकार में जबकि चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग हुई है तो उस पॉइंट का भी नामकरण ‘शिवशक्ति पॉइंट’ किया गया और इसके साथ ही चंद्रयान-2 वाली साइट का भी नाम रखते हुए ‘तिरंगा पॉइंट’ किया गया. इसका मतलब यह हुआ कि ‘शिवशक्ति पॉइंट’ से पहले भी चांद पर भारत के दो पॉइंट मौजूद थे, जिनमें से एक का नामकरण पहले ही किया गया था. जबकि बाकी दो का नामकरण साथ में अब हुआ है. ‘शिवशक्ति पॉइंट’ नाम को लेकर जहां कांग्रेस ने आपत्ति जताई है तो वहीं भाजपा ने पलटवार करते हुए जवाहर पॉइंट के नामकर पर सवाल उठाया है.
इस बवाल की शुरुआत तब हुई जब कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने कहा कि हम चांद या उस स्थान के मालिक नहीं हैं, जिसका नाम ‘शिवशक्ति पॉइंट’ रख दिया गया है. राशिद अल्वी ने कहा कई मोदी जी को यह अधिकार किसने दिया कि वो चांद की सतह का नाम रखें. इस नामकरण के बाद पूरा विश्व हम पर हंसेगा. चंद्रमा के उस जगह पर लैंडिंग हुई है यह बहुत अच्छी बात है और इस पर हमें गर्व है जिस पर किसी को शक नहीं होना चाहिए. लेकिन नामकरण करना ठीक नहीं है. राशिद अल्वी के इसी बयान पर भाजपा ने पलटवार किया है.
भाजपा नेता शहजाद पूनावाला ने पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस ने चंद्रयान-1 की इम्पैक्ट साइट का नाम ‘जवाहर पॉइंट’ किया जबकि अब मोदी सरकार में बाकी दोनों पॉइंट का नाम ‘तिरंगा पॉइंट’ और ‘शिवशक्ति पॉइंट’ किया गया है. यह देश फर्स्ट और परिवार फर्स्ट में साफ अंतर दिखाता है. पूनावाला ने आगे तंज कैसा कि यूपीए की सरकार होती तो तो चंद्रयान-2 और चंद्रयान-3 शायद ही भेजा गया होता. अगर भेजा गया होता तो टच प्वॉइंट के नाम ‘इंदिरा पॉइंट’ और ‘राजीव पॉइंट’ होते.