इस पूर्व प्रधानमंत्री ने पत्नी का हाथ थाम अपनायी ऐसी मृत्यु जिसे जान रों देंगे
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कोलकाता टाइम्स :
नीदरलैंड्स के पूर्व प्रधानमंत्री ड्रीस वैन एग्ट और उनकी पत्नी यूजीन ने इच्छा-मृत्यु से दुनिया को अलविदा कह दिया है. पिछले महीने, दोनों ने एक-दूसरे का हाथ थामे हुए आखिरी सांस ली. दोनों की उम्र 93 साल थी और वे काफी समय से बीमार चल रहे थे. वैन एग्ट को 2019 में ब्रेन हेमरेज हुआ था, वह कभी उससे उबर नहीं पाए. उनकी पत्नी को भी उम्र से जुड़ी बीमारियों ने घेर रखा था. दोनों ने साथ मरने (यूथेनेसिया) का फैसला किया. नीदरलैंड्स का कानून उन्हें इसकी इजाजत देता है. वहां इच्छा-मृत्यु और सहायता प्राप्त आत्महत्या को कानूनी दर्जा मिला हुआ है. क्या पूर्व डच पीएम और उनकी पत्नी की तरह कोई भी ऐसा कर सकता है? क्या अन्य देशों में भी यूथेनेसिया की इजाजत है या प्रतिबंध है? भारत में इच्छा-मृत्यु पर क्या नियम हैं? यूथेनेसिया के तरीके क्या हैं? आइए इन सब सवालों के जवाब जानते हैं.
यूथेनेसिया या मर्सी किलिंग (दया-मृत्यु) बेहद संवेदनशील मसला है. किसी को दर्द से मुक्त करने के लिए, उसकी मर्जी से उसे मार देना यूथेनेसिया है. पूरी दुनिया में इसे लेकर अलग नियम-कानून हैं. नीदरलैंड्स में मरीज की गुजारिश पर डॉक्टर उसकी जान ले सकते हैं. असिस्टेड स्यूसाइड वह होता है जिसमें डॉक्टर मदद करते हैं, व्यक्ति के खुद अपनी जान देने में.
यूथेनेसिया मुख्य रूप से दो प्रकार का होता है: एक्टिव और पैसिव. एक्टिव यूथेनेसिया में मरीज को जान-बूझकर ऐसे घातक पदार्थ दिए जाते हैं जिससे उसकी मौत हो जाए. जब किसी मरीज की जिंदगी बचा रहे लाइफ-सपोर्ट सिस्टम को हटा लिया जाता है तो वह पैसिव यूथेनेसिया कहलाता है.