November 23, 2024     Select Language
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कहीं इस कोरोना वैक्सीन तो नहीं लिया ? क्योंकि खून के थक्के की बात मानी कंपनी ने 

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कोलकाता टाइम्स : 
क खबर ने भारत के करोड़ों लोगों को टेंशन दे दी है. दरअसल, हाल के महीनों में अचानक मौत की कई घटनाएं सामने आईं. वीडियो आए लेकिन उसे यह कहकर इग्नोर किया गया कि उसका कोरोना वैक्सीन से कोई ताल्लुक नहीं है लेकिन अब लंदन से जो रिपोर्ट आई है वह आपको परेशान कर सकती है. कोविशील्ड वैक्सीन वाली एस्ट्राजेनेका कंपनी ने खुद मान लिया है कि उसके कोविड टीके से खून का थक्का बन सकता है. आइए पॉइंट्स में जानते हैं पूरी बात.
लंदन में कई लोग कोरोना वैक्सीन लगाने से गंभीर रूप से बीमार हो गए. ऐसे ही एक शख्स हैं जेमी स्कॉट. उन्होंने लंदन हाई कोर्ट में केस कर दिया. एस्ट्राजेनेका वैक्सीन लगवाने के बाद उनका ब्रेन डैमेज हो गया था.
अब कोर्ट के सामने एस्ट्राजेनेका कंपनी ने साइड इफेक्ट की बात स्वीकार कर ली है. ब्रिटिश कोर्ट में कंपनी ने पहली बार माना है कि उसकी वैक्सीन लगाने से खून के थक्के जमने (क्लॉटिंग) जैसे दुष्प्रभाव हो सकते हैं.
शरीर में खून के थक्के जमने से ब्रेन स्ट्रोक और दिल का दौरा पड़ने का खतरा बढ़ जाता है. इसे TTS यानी थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम कहते हैं.
इसके चलते शरीर में प्लेटलेट्स गिर सकता है. अब एस्ट्राजेनेका ने साइड इफेक्ट की बात कबूली तो दुनियाभर के उन लोगों की टेंशन बढ़ना लाजिमी है जिन्होंने यही फॉर्मूले वाली वैक्सीन लगवाई थी भले ही उसका नाम अलग हो.
एस्ट्राजेनेका की इसी वैक्सीन को भारत में कोविशील्ड के नाम से उतारा गया था. यहां भारत की कंपनी सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (SII) ने एस्ट्राजेनेका से मिले लाइसेंस के तहत इस वैक्सीन का प्रोडक्शन किया था.
सीरम इंस्टिट्यूट की तरफ से अब तक कुछ नहीं कहा गया है. ब्रिटेन के पीड़ित जेमी स्कॉट के दो बच्चे हैं. उनका ब्रेन स्थायी रूप से जख्मी हो गया है. अप्रैल 2021 में उन्होंने एस्ट्राजेनेका वैक्सीन लगवाई थी और खून के थक्के जम गए. उनका कामकाज भी रुक गया.
कंपनी ने बाद में वैक्सीन के बारे में जानकारी अपडेट कर दी थी. इसमें कहा था कि दुर्लभ केस में इससे ब्लड क्लॉट हो सकता है. अब इस वैक्सीन का इस्तेमाल यूके में नहीं हो रहा है.
एस्ट्राजेनेका के एक प्रवक्ता ने बताया है कि वैक्सीन ने सुरक्षा मानकों को पूरा किया है. दुनियाभर के नियामकों ने लगातार कहा है कि बेहद दुर्लभ केस में साइड इफेक्ट्स के खतरे से ज्यादा लाभ वैक्सीनेशन के हैं.

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