आज भी यह ‘टैक्स’ दे रहे महाभारत के दुर्योधन, भलाई की सजा!
कोलकाता टाइम्स :
महाभारत का युद्ध हुआ और उसमें कौरवों की हार हुई. दुर्योधन मारा गया. यही वजह है कि आमतौर पर लोगों के मन में दुर्योधन को लेकर नकारात्मक छवि ही है. लेकिन भारत में ही एक जगह ऐसी है, जहां दुर्योधन पूजा जाता है. वहां बाकायदा दुर्योधन का विशाल मंदिर है और उसे प्रसन्न रखने के लिए खास भोग भी अर्पित किया जाता है. यह मंदिर केरल के कोल्लम जिले में है. इससे भी ज्यादा कमाल की बात यह है कि दुर्योधन के नाम से आज भी भारत सरकार के खजाने में टैक्स भरा जाता है.
स्थानीय लोगों की मान्यता है कि एक बार दुर्योधन यहां से गुजर रहे थे, तब उन्हें प्यास लगी लेकिन उन्हें कहीं पानी नहीं मिला. तब वहां उन्हें एक दलित महिला मिली, जिससे उन्होंने पानी मांगा. महिला के पास पानी तो नहीं था लेकिन ताड़ी जरूर थी. हालांकि वह दलित होने के कारण क्षत्रिय राजकुमार को ताड़ी देने में हिचक रही थी. लेकिन दुर्योधन ने ना केवल ताड़ी पी, बल्कि महिला को आशीर्वाद भी दिया. साथ ही महिला के गांव को जमीन भी दान में दी. साथ ही रक्षा करने का वचन दिया. तब ग्रामीणों ने यहां दुर्योधन का मंदिर बनाया. आज भी यहां दुर्योधन की रक्षक और दयालु देवता के तौर पर पूजा की जाती है.
दुर्योधन के इस मंदिर में दुर्योधन की कोई मूर्ति नहीं है, बल्कि उनके हथियार गदा की पूजा की जाती है. दुर्योधन गदायुद्ध में माहिर था. गांव के लोग दुर्योधन को प्यार से ‘अपूपा’ (दादाजी) कहकर बुलाते हैं. साथ ही यहां दुर्योधन को ताड़ी का भोग लगाया जाता है. मान्यता है कि ताड़ी का भोग लगाने से देवता दुर्योधन प्रसन्न रहते हैं.
दुर्योधन के मंदिर का नाम पोरुवाझी पेरुविरुथी मलानाडा है. आमतौर पर यह मलानाडा मंदिर के नाम से मशहूर है. इस मंदिर के नाम से सरकारी खजाने में जो टैक्स भरा जाता है, वह दुर्योधन के नाम पर ही अदा किया जाता है.
दरअसल इस मंदिर के लिए जब पट्टायम जारी किया गया था, तो जमीन देवता के नाम पर ही पंजीकृत की गई थी. लिहाजा तब से ही इस जमीन का भू-कर देवता दुर्योधन के नाम से अदा किया जा रहा है.