February 23, 2025     Select Language
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तुरंत बदले यहां जाने की प्लान, नदियां खतरे में!

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कोलकाता टाइम्स : 

सिक्किम की नदियों और ग्लेशियरों से जुड़ा यह मुद्दा सिर्फ़ राज्य तक सीमित नहीं है—यह पूरे देश की चिंता का विषय है.

‘Concerned Citizens of Sikkim, India and Beyond’ और प्रवा राय के नेतृत्व में एक याचिका केंद्रीय पर्यावरण मंत्री श्री भूपेंद्र यादव और सिक्किम के मुख्यमंत्री श्री पी.एस. गोलय तामांग को सौंपी गई है. इस याचिका में वैज्ञानिक अध्ययन और लोकतांत्रिक प्रक्रिया के बिना तेस्ता-III जलविद्युत परियोजना को दोबारा शुरू करने के निर्णय का कड़ा विरोध किया गया है.

तेस्ता एक अनोखी ग्लेशियर-निर्मित नदी है जो सिक्किम के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध इलाकों से होकर बहती है. यहाँ लगातार बनाए जा रहे बाँधों ने स्थानीय समुदायों, विशेष रूप से ड्ज़ोंगू के लेपचा समुदाय, में गहरी चिंता और असंतोष उत्पन्न किया है. वैज्ञानिक वर्षों से हिमालयी क्षेत्र में ग्लेशियर झीलों के पास बड़े जलविद्युत परियोजनाओं को लेकर चेतावनी देते रहे हैं. इनका कहना है कि यदि ग्लेशियर पिघलने से अचानक बाढ़ आती है (Glacial Lake Outburst Flood – GLOF), तो दूर-दराज के इलाकों तक भारी तबाही मच सकती है.

सिक्किम की साउथ ल्होनाक झील जो तेस्ता नदी को जल प्रदान करती है, सबसे खतरनाक और तेज़ी से फैलती झीलों में से एक मानी जाती है. वैज्ञानिकों ने पहले ही आगाह किया था कि अगर यह झील फटी, तो सिक्किम का नाज़ुक पारिस्थितिकी तंत्र और स्थानीय समाज गहरे संकट में आ जाएगा. ठीक ऐसा ही 3 अक्टूबर 2023 को हुआ—झील की दीवारें टूट गईं और 50 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी एक विशाल लहर के रूप में बाहर आ गया. इस जलप्रलय ने 270 मिलियन क्यूबिक मीटर गाद बहाकर पूरे इलाके में तबाही मचा दी. इसमें न सिर्फ़ सिक्किम के कई हिस्से तबाह हुए, बल्कि 1200 मेगावाट की तेस्ता-III जलविद्युत परियोजना पूरी तरह बर्बाद हो गई. कई लोगों की जान गई, कई लोग लापता हो गए और अरबों की संपत्ति का नुकसान हुआ.

इतनी भीषण तबाही के बावजूद, इस साल जनवरी में केंद्र सरकार के पर्यावरण मंत्रालय की विशेषज्ञ समिति (EAC) ने बिना किसी नए पर्यावरणीय आकलन, बिना सार्वजनिक सुनवाई, और बिना किसी वैज्ञानिक समीक्षा के, तेस्ता-III परियोजना को दोबारा शुरू करने की अनुमति दे दी. पर्यावरणविदों और स्थानीय नागरिकों का कहना है कि यह निर्णय न केवल गैर-जिम्मेदाराना है, बल्कि सिक्किम और उससे जुड़े पर्यावरणीय और सामाजिक तंत्र के लिए विनाशकारी साबित हो सकता है.

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