कोलकाता टाइम्स
अखबार पर रखकर अपने पसंदीदा नाश्ते के चटकारे लेकर खाने वालों को सावधान हो जाना चाहिए। कई शोधों में ये सिद्ध कर दिया गया है कि अखबार पर खाना रखते ही वह हमारे शरीर का दुश्मन बन जाता है। इसके पीछे जो वजह बताई गई वो और चौंकाने वाली है। दरअसल जहाँ से अखबार की छपाई शुरू होती है वहीं से रोग भेजने का काम शुरू हो जाता है।
अखबार की छपाई मुख्यतः डाई आइसोब्यूटाइल फटालेट और डाइएन आईसोब्यूटाइलेट जैस खतरनाक केमिकल्स से होती है। इन केमिकल्स से तैयार की गई स्याही शरीर के भीतर जाते ही कई तरह के रोग पैदा करती है।
सर्व करने में अखबार का इस्तेमाल अधिकतर वे दुकानें करती हैं जो भीड़ से भरी होती हैं। यहाँ लोग गर्म पकवान लेकर खाने की चाहत में आते हैं। लेकिन सच तो ये है कि अखबार पर गर्म पकवान रखना सबसे अधिक खतरनाक है। क्योंकि स्याही में घुले खतरनाक रसायन ताप मिलते ही अपने बायोएक्टिव को सक्रिय कर देते हैं। ये बायोएक्टिव तत्व सक्रिय होकर खाने के सामान में घुलने लगते हैं और सीधे हमारे शरीर में चले जाते हैं।
लोगों की इन आदतों को बदलने और दुकानदारों को सुधारने के लिए भारत खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) बेहद सख्त है। उसने कई बार इससे संबंधित एडवाइजरी भी जारी की है ताकि लोगों को जागरूक किया जा सके। साथ ही दुकानदारों के लिए ऐसा करने पर फाइन का भी प्रावधान है।
अखबार पर रखकर खाने की समस्या केवल दुकानों तक सीमित नहीं है। बल्कि अपने घरों में भी इसका इस्तेमाल धड़ल्ले से होता है। लोगों में कम जागरूकता होने की वजह से उन्हें पता नहीं है कि इस तरह अखबार पर खाना कितना खतरनाक हो सकता है। शोध में कहा गया है कि इस घातक स्याही के द्वारा लोगों को कैंसर और कई तरह की मानसिक बीमारी हो रही है। बच्चों पर इसका प्रभाव तेजी से पड़ता है और ये अखबार उन्हें मंद बुद्धि भी बना सकता है।