सुना है कभी मानव शरीर निःसृत इन अजीब चीजों के बारे में
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कोलकाता टाइम्स
आधुनिक मानव का सृजन हुए लगभग 2000 साल बीत गए। तब से लेकर आज तक दुनिया में कई सारी अनोखे अवष्किार और कार्य किए गए। खाने-पीने से लेकर कई नई चीजों को खोज लिया गया और अब तो सांइस ने भी बहुत तरक्की कर ली। कुछ कार्यों को मनुष्यों ने बाहरी वस्तुओं से इज़ाद किया और कुछ को खुद के शरीर से निकलने वाले पदार्थों से ही। आपको ये बात अटपटी सी लग सकती है। या आपने जब हैरी पॉटर में इयर वैक्स या वॉमेट की टॉफी देखी होगी तो घिन आई होगी। लेकिन ऐसे कई ह्यूमन प्रोडक्ट मार्केट में उपलब्ध हैं और इनकी डिमांड भी है। आइए जानते हैं ऐसे 8 मनुष्य शरीर के विचित्र उत्पादों के बारे में:
वीर्य के साथ कुकिंग: वीर्य, पुरूष के जननांग से निकलने वाला लिक्विड होता है जो महिला के गर्भाशय में जाने के बाद महिला गर्भ धारण कर सकती है। लेकिन क्या आप सोच भी सकते हैं कि इसका इस्तेमाल कुकिंग में भी किया जा सकता है और ऐसा खाना कौन खाता होगा?
वीर्य के साथ कुकिंग: वीर्य, पुरूष के जननांग से निकलने वाला लिक्विड होता है जो महिला के गर्भाशय में जाने के बाद महिला गर्भ धारण कर सकती है। लेकिन क्या आप सोच भी सकते हैं कि इसका इस्तेमाल कुकिंग में भी किया जा सकता है और ऐसा खाना कौन खाता होगा?
इन दिनों मार्केट में कई सारी रेसिपी स्पर्म बेस्ड बनाई जाती हैं क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इनमें पोषक तत्वों की मात्रा काफी ज्यादा होती है। इसे लेकर कई सारे कुकिंग क्लासेस भी विदेशों में चलती हैं। हाल ही में लंदन में आयोजित एक कुकिंग क्लास में स्पर्म का इस्तेमाल किया गया और इसमें कई सारे अन्य प्रोडक्ट को भी डाला गया।
इयरवैक्स कैंडल: वैक्स की कैंडल तो हम सभी के घर पर होती हैं लेकिन क्या इयरवैक्स की कैंडल आप अपने घर में रखेगी। सोचकर ही घिन आती है लेकिन प्राचीन इजिप्ट में इस तरह की कैंडल्स को बनाया जाता था। कई बार जानवरों के शरीर से भी वैक्स को निकालकर उसकी कैंडल बनाई जाती थी। जैसाकि आपको मालूम ही होगा कि मानव की कान की वैक्स में काफी ज्यादा मात्रा में फैटी एसिड होता है जो कि कानों को सुरक्षित रखता है और बैक्टीरिया व धूल से बचाता है। ऐसे में इसकी कैंडल काफी कारगर होती हैं। आपको याद होगा कि एक फिल्म श्रेक में मुख्य किरदार भी अपने कान की वैक्स निकालकर उसे कैंडल की तरह इस्तेमाल करता था। लेकिन ये बात सच है न कि कोई एनीमेटेड मूवी की स्क्रिप्ट है। वैसे आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस इयरवैक्स को कई फ्लेवर व रंग डालकर एकदम अलग लुक दे दिया जाता है लेकिन ये बहुत मंहगी होती है और हर जगह नहीं मिलती हैं।
गर्भनाल खा लेना: गर्भनाल एक महिला का प्रजनन अंग होता है जिसके माध्यम से गर्भ में पल रहे बच्चे को 9 माह तक भोजन पानी व ऑक्सीजन मिलती रहती है। जब संतान पैदा होती है तो उसके थोड़ी देर बाद ही ये भी निकल जाती है। आमतौर पर इसे फेंक दिया जाता है। लेकिन कुछ देशों में इसे पोषक तत्वों से भरपूर मानकर खाने में इस्तेमाल किया जाता है। इसकी कई डिश बनती हैं और इन्हें कई बार मां को ही शक्ति बढ़ाने के लिए दिया जाता है। वैसे कई बार इसे ट्रीटमेंट के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। भारत में आग में जल जाने वाले रोगियों के लिए इसका उपयोग खाल को सही करने के लिए किया जाता है। पुराने रीति में कहा जाता था कि इसे खाने से मां को प्रसव के बाद का अवसाद नहीं होता है। फूड और ड्रग प्रशासन भी इसे देने की सहमति देता है। अब तो कई अस्पतालों में इसे सहजकर रखते है ताकि भविष्य में अगर बच्चें को कोई समस्या होतो इससे बीमारी का इलाज किया जा सकता है।
बीयर बनाने में पेशाब का इस्तेमाल: यह सबसे हाल ही का मानव जैविक नवाचार है। सन् 2017 में, एक डेनिश (डेनमार्क का बांशिदा ) शराब बनाने वाले ने खुलासा किया कि वो पेशाब का इस्तेमाल बियर बनाने में करता है। जिसे सुनकर सभी के पसीने छूट गए, लेकिन उसकी ये ट्रिक काफी कारगर साबित हुई। यूरिन, मानव शरीर का अवशिष्ट पदार्थ होता है जो किसी काम का नहीं होता है। लेकिन इसमें कुछ ऐसे तत्व होते हैं जिनको निकालकर बीयर बनाने में मदद मिल सकती है और ऐसा ही वैज्ञानिकों से किया। उन्होंने यूरिन से बारले और बेकिंग सोडा की मदद से वॉर्ट नाम के लिक्विड को निकाला। बाद में इसे प्रक्रियान्वित करके बियर का निर्माण किया। इस बीयर का टेस्ट बिलकुल पहले की बीयर जैसा ही होता है और लोगों को पता भी नहीं चलता है।
बीयर बनाने में पेशाब का इस्तेमाल: यह सबसे हाल ही का मानव जैविक नवाचार है। सन् 2017 में, एक डेनिश (डेनमार्क का बांशिदा ) शराब बनाने वाले ने खुलासा किया कि वो पेशाब का इस्तेमाल बियर बनाने में करता है। जिसे सुनकर सभी के पसीने छूट गए, लेकिन उसकी ये ट्रिक काफी कारगर साबित हुई। यूरिन, मानव शरीर का अवशिष्ट पदार्थ होता है जो किसी काम का नहीं होता है। लेकिन इसमें कुछ ऐसे तत्व होते हैं जिनको निकालकर बीयर बनाने में मदद मिल सकती है और ऐसा ही वैज्ञानिकों से किया। उन्होंने यूरिन से बारले और बेकिंग सोडा की मदद से वॉर्ट नाम के लिक्विड को निकाला। बाद में इसे प्रक्रियान्वित करके बियर का निर्माण किया। इस बीयर का टेस्ट बिलकुल पहले की बीयर जैसा ही होता है और लोगों को पता भी नहीं चलता है।
प्लांट फर्टीलाइजर के रूप में पीरियड्स ब्लड का इस्तेमाल: हर महीने महिलाओं को मासिक धर्म होते हैं और यह रक्त बेकार ही चला जाता है। इसलिए एक ऐसी तकनीकी ईजाद की गई है जिसमें इस रक्त को प्लांट फर्टीलाइजर के रूप में इस्तेमाल किया जाने लगा है। चूंकि इस रक्त में रक्त और गर्भाशय की लेयर्स होती हैं तो एंडोमेट्रीयम कहलाती हैं। महिलाएं पैड या टैम्पून का इस्तेमाल करती हैं जिससे ये बेकार हो जाता है। अब इसका इस्तेमाल प्लांट को पनपने में करने के लिए एक नई विधि निकाली गई है। क्योंकि इस रक्त में नाईट्रोजन होता है जो पौधों को स्वस्थ बनाता है इसलिए इसे कई वैज्ञानिकों ने सराहा भी है। लेकिन इसके लिए महिलाओं को बढ़कर आगे आना होगा और अपना सहयोग देना होगा।
डेड हेयर्स का स्टाइल हेयर: ऐसा पहले भी होता आया है जब किसी और के बालों का बिग बनाकर गंजों के सिर पर शिरोधार्य किया जाता था। लेकिन अब इस तकनीकी और विधि को हवा दी जा रही है और इसे नए मुकाम पर लाया जा रहा है। इसमें डेड हेयर्स को हेयर स्टाइल बनाने के काम में लाया जा रहा है। विक्टोरियन महिलाओं द्वारा पूर्वकाल में ऐसा किया जाता था।
उपकरणों के लिए हड्डियां: हड्डियों को उपकरण बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाने लगा है। ये शरीर का सबसे टिकाऊ हिस्सा होते हैं और इनसे आप कोई भी सख्त आइटम बना सकते हैं। हाल में इससे संगीत उपकरणों को बनाने की शुरूआत की गई है। बासुंरीनुमा इस वाद्ययंत्र को पैर की लम्बी हड्डी से बनाया गया। इसके अलावा, सेंट्रल अफ्रीका में मानव की खोपड़ी से ऐसा ही एक संगी वाद्ययंत्र बनाया गया था। हालांकि ऐसे यंत्रों का इस्तेमाल बहुत ज्यादा नहीं होता है लेकिन ये बनते हैं।
दांतों की ज्वैलरी: सोचिए आपने गले में दांतों का नेकलस पहना हुआ, कैसा लगेगा आप पर। ये हंसने की बात नहीं है ऐसे नेकलस बनते हैं और मार्केट में बिकते भी हैं। हालांकि भारत में ये अभी उपलब्ध नहीं है। इनमें से कई और प्रकार के गहनों को बेबी टीथ से भी बनाया जाता है। दांतों की चमक प्राकृतिक रूप से बनी रहने के कारण इसके गहनों को बनाये जाने का विचार आया। इसे कई लोगों ने पहले बनाया और फिर इसे एक सही शेप मिला। दांतों के कई प्रकार होते हैं जिनके हिसाब से गहनों को बनाया जाता है और इनकी कीमत भी उसी के अनुसार तय होती है। ये हर जगह नहीं मिलते और न ही इनकी बिक्री स्वीकार्य है। लेकिन बाहरी देशों में कुछ लोग ऐसा काम करते हैं।