नई दिल्ली : सिर्फ 7 घंटे लगे 1400 साल से चली आ रही एक प्रथा के खिलाफ कानून को को अपनाने में। ट्रिपल तलाक प्रथा यानी तलाक-ए-बिद्दत के खिलाफ बिल लोकसभा में 7 घंटे के भीतर पास हो गया। गुरुवार को यह बिल साढ़े 12 बजे लोकसभा में पेश हुआ और साढ़े सात पर पास हो गया। इस दौरान कई संशोधन पेश किए गए, लेकिन सब खारिज हो गए। इनमें ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) सांसद असदुद्दीन ओवैसी के भी तीन संधोधन थे, लेकिन ये भी खारिज हो गए। कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने अपने फाइनल जवाब में कहा, “ये बिल धर्म, विश्वास और पूजा का मसला नहीं है, बल्कि जेंडर जस्टिस और जेंडर इक्वालिटी से जुड़ा मसला है। अगर देश की मुस्लिम महिलाओं के हित में खड़ा होना अपराध है तो हम ये अपराध 10 बार करेंगे।” कांग्रेस ने बिल को खामिया भरा बताकर सपोर्ट किया। बिल गुरुवार को राज्यसभा में पेश किया जाएगा।
लोकसभा में बिल पास होने के बाद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, “इससे मुस्लिम महिलाओं को इंसाफ नहीं मिलेगा। ये बिल शादियों को तोड़ने के लिए है। इस बिल के जरिए मुसलमानों को टारगेट किया जाएगा।”
अब इस बिल के अनुसार “जुबानी, लिखित या किसी इलेक्ट्रॉनिक तरीके से एकसाथ तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) देना गैरकानूनी और गैर जमानती होगा। तीन तलाक देने वाले पति को
तीन साल की सजा के अलावा जुर्माना भी होगा। साथ ही इसमें महिला अपने नाबालिग बच्चों की कस्टडी और गुजारा भत्ते का दावा भी कर सकेगी।”
इस बिल को कोई तोर मरोड़ ना सके इसके लिए काफी सख्ती बरती गयी है। जैसे की एक बार में तीन तलाक या तलाक-ए-बिद्दत किसी भी तौर पर गैरकानूनी ही होगा। जिसमें बोलकर या इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस (यानी वॉट्सएेप, ईमेल, एसएमएस) के जरिये भी एक बार में तीन तलाक देना शामिल है।
हर्जाना और बच्चों की कस्टडी महिला को देने का प्राॅविजन इसलिए रखा गया है, ताकि महिला को घर छोड़ने के साथ ही कानूनी तौर पर सिक्युरिटी हासिल हो सके। इस मामले में आरोपी को जमानत भी नहीं मिल सकेगी।’ देश में पिछले एक साल से तीन तलाक के मुद्दे पर छिड़ी बहस और सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद सरकार ने इस बिल का मसौदा तैयार किया।