इनके लिए कृष्ण ने तोड़ी बांसुरी, लिया कभी नहीं बजाने का प्रण
कोलकाता टाइम्स
देवी राधा की मृत्यु से संबंधित एक कथा ग्रंथों में पाई जाती है, जिसके अनुसार राधा की मृत्यु के समय श्रीकृष्ण उनके पास मौजूद थे। देवी राधा के देह त्यागने पर श्रीकृष्ण ने अपनी बांसुरी तोड़ दी थी और फिर कभी बांसुरी न बजाने का प्रण ले लिया था। आखिर किन हालातों में हुई थी देवी राधा की मृत्यु और क्यों श्रीकृष्ण ने तोड़ दी थी अपनी बांसुरी, चलिए जानते हैं।
ग्रंथों के अनुसार, राधा-कृष्ण का बचपन साथ बीता। उसी दौरान दोनों को प्रेम की अनुभूती हुई और उनके बीच अटूट रिश्ता बन गया। एक समय ऐसा आया जब राधा-कृष्ण को एक-दूसरे से जुदा होना पड़ा। वे समय था जब श्रीकृष्ण कंस का वध करने के लिए मथुरा को रवाना हुए। हालांकि उन्होंने जल्दी ही लौटकर आने का वादा किया था।
देवी राधा ने काफी समय तक श्रीकृष्ण के लौट आने का इंतज़ार किया, लेकिन परिस्थितियों के चलते वे आ न सके। कहते हैं कुछ समय बाद देवी राधा का विवाह किसी यादव से करवा दिया गया। विवाह के बाद देवी राधा ने अपनी तमाम जिम्मेदारियां निभाई, लेकिन मन ही मन श्रीकृष्ण से भी प्रेम करती रहीं। श्रीकृष्ण के प्रति उनका लगाव कम नहीं हुआ। दूसरी ओर श्रीकृष्ण का विवाह भी देवी रुक्मिणी से हो गया।
श्रीकृष्ण और देवी राधा ने पूरी जिंदगी अपने-अपने कर्तव्य निभाए। सारे कर्तव्यों से मुक्त होने के बाद देवी राधा ने पुन: श्रीकृष्ण से मिलने की ठानी। इसी इच्छा से वे द्वारका नगरी चली गईं। द्वारका पहुंचने पर देवी राधा को श्रीकृष्ण के विवाह के बारे में पता चला, लेकिन वे दुखी नहीं हुईं।
द्वारका में श्रीकृष्ण के सिवा देवी राधा को कोई नहीं जानता था। जैसे ही श्रीकृष्ण ने देवी राधा को देखा तो उनकी खुशियों का ठिकाना न रहा। वो दोनों काफी समय तक संकेतों की भाषा में बातें करते रहे। कान्हा के साथ अधिक समय बिताने के लिए देवी ने उनसे उनके ही महल में रहने की आज्ञा मांगी। और देविका के रूप में महल में निवास करने लगीं।
महल में श्रीकृष्ण के करीब होते हुए भी देवी राधा उनसे आध्यात्मिक जुड़ाव महसूस नहीं कर पा रही थीं। जिसके चलते उन्होंने महल से दूर जाने का निर्णय लिया। ताकी वे पुन: उस आत्मीय संबंध को पा सकें। देवी राधा द्वारका से कहीं दूर जाकर निवास करने लगीं। समय के साथ-साथ देवी राधा कमजोर पड़ने लगीं। मानो उनका अंतिम समय पास आ गया था। ऐसी परिस्थितियों में श्रीकृष्ण उनके पास पहुंच गए। श्रीकृष्ण ने देवी राधा से उनकी मनोकामना पूछी।
तब देवी राधा ने उनसे अंतिम बार बांसुरी बजाने को कहा। राधा के अनुरोध पर श्रीकृष्ण ने बांसुरी बजानी शुरू की और बेहद सुरीली धुन बजाने लगे।
राधा के चले जाने पर श्रीकृष्ण के दुख की सीमा न रही। श्रीकृष्ण जानते थे उनकी बांसुरी देवी राधा को काफी प्रिय थी। इसकी धुन देवी राधा को सबसे अधिक पसंद थी। ऐसे में देवी राधा के जाने पर उन्होंने अपनी बांसुरी तोड़ कर झाड़ियों में फेंक दी और फिर कभी बांसुरी न बजाने का प्रण लिया।