आनुवांशिक बहरेपन को भी ठीक कर सकता है जिन में बदलाव
कोलकाता टाइम्स :
आनुवांशिक रूप से बहरेपन के शिकार लोगों का भी इलाज हो सकने की उम्मीद जगी है। अमेरिका के हार्वर्ड ह्यूग्स मेडिकल इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने पहली बार जेनेटिंग म्यूटेशन (डीएनए के क्रम में होने वाला स्थायी बदलाव) पर केंद्रित इलाज का पता लगाया है। वैज्ञानिकों ने जीन एडिटिंग तकनीक का प्रयोग चूहों पर किया। ऐसा एक इंजेक्शन के सहारे किया गया। इन चूहों की सुनने की क्षमता लगातार घट रही थी।
टीएमसी-ए जीन में हुए म्यूटेशन के कारण कान की आंतरिक संरचना में हेयर सेल्स को नुकसान पहुंचता है। ये हेयर सेल्स ही आवाज की पहचान करते हैं। कोशिकाएं कान के अंदर बालों से ढकी रहती हैं। टीएमसी-1 में हुए म्यूटेशन के कारण ही मनुष्य की भी सुनने की क्षमता कम हो जाती है। जीनोम एडिटिंग तकनीक के लिए सीआरआईएसपीआर आधारित टूल वाले इंजेक्शन को चूहों के कान में दिया गया। आठ हफ्ते बाद इलेक्ट्रॉड का प्रयोग कर चूहों के सुनने की क्षमता की जांच की गई। जिन चूहों का इलाज हुआ था, उनके सुनने की क्षमता बढ़ गई थी।