3000 साल पुरानी तकनीक से बची इनकी नाक
कोलकाता टाइम्स :
मौजूदा दौर में विज्ञान ने किस कदर तरक्की कर ली है उसका अंदाजा आप इस खबर से लगा सकते हैं। भारत में डॉक्टरों ने अफगानिस्तान की महिला की नाक को बनाने में बड़ी सफलता हासिल की है। महिला की नाक आतंकी गोलीबारी में घायल हो गई थी। डॉक्टरों के जबरदस्त प्रयास की वजह से 28 वर्षीय शम्सा चार साल बाद फिर से सामान्य तरीके से सांस ले पा रही है और वह सूंघने में भी सक्षम है। गौर करने वाली बात यह है कि डॉक्टरों ने शम्सा की नाक को ठीक करने में जिस तकनीक का इस्तेमाल किया है वह 3000 साल पुरानी है।
दरअसल चार साल पहले आतंकियों की गोलीबारी में शम्सा की नाक बुरी तरह से घायल हो गई थी और नाक का काफी हिस्सा खत्म हो गया था, जिसके चलते वह ना तो सूंघ पाती थीं और ना ही सही से सांस ले पाती थीं। शम्सा खो गोली इस तरह से लगी थी कि वह नाक के भीतर घुस गई थी और अंदरूनी हिस्से को नष्ट कर दिया था। उनकी
शम्सा का ऑपरेशन मेडस्पार के प्लास्टिक सर्जन अजय कश्यप ने किया था। उन्होंने बताया कि यह हमारे लिए गर्व की बात है कि आधुनिक तकनीक सुश्रुत की तकनीक पर ही आधारित है। आज भी उनकी तकनीक की मदद से हम नाक और कान को बिल्कुल सटीक तरीके से बना सकते हैं। इस तकनीक के अनुसार ही हमने गाल से स्किन ली और नाक बनाने का काम किया। सुश्रुत को ऐसे डॉक्टर के तौर पर जाना जाता है जिन्होंने नाक और कान बनाने की तकनीक दुनिया को दी है।
ऑपरेशन के बाद शम्सा ने बताया कि वह काफी खुश हैं कि वह फिर से चीजों को सूंघ पाएंगी, इस सर्जरी ने मेरी जिंदगी को बदल दिया है। उन्होंने कहा कि मुझे पूरी उम्मीद है कि जब मैं वापस घर जाउंगी तो लोग मुझे देखकर मेडिकल क्षेत्र की इस उपलब्धि पर गर्व करेंगे।