धर्म ही नहीं विज्ञान भी है शंख बजाने के पीछे
कोलकाता टाइम्स :
हमारे हिन्दू समाज में पूजा एवं कथा के दौरान शंख बजाने की प्रथा है तथा इसके बने पूजा अधूरी मानी जाती है कई धार्मिक एवं आस्थावान घरों में आज दिन में पूजा एवं शाम की संध्या के वक्त शंख बजाया जाता है। प्राचीन धार्मिक मतों के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान जब देवताओं एवं राक्षसों के बीच अमृत को प्रात्प करने के लिए संघर्ष चल रहा था उसी समय शंख प्राप्त किया गया था इसलिए शंख की उत्पत्ति भारतीयों के लिए बहुत अधिक धार्मिक महत्व रखती है। इसके अलावा मां दुर्गा के हाथों में तलबार, त्रिशूल, धनुष, गदा के साथ-साथ शंख भी रहता है। आयुर्वेदिक मान्यता के मुताबिक शंख के तेजगति से बजाए जाने से उत्तन्न कम्पन से मानव के लिए हानिकारक कीटाणु मर जाते हैं। ऐसी धार्मिक मान्यता भी है कि शंख बजाने से आसपास मौजूद नकारात्मक ऊजाएं, भूत-प्रेत गायब हो जाते हैं।