अब अस्पतालों में अंग पहुंचायेगा ड्रोन
उन्होंने बताया कि 1 दिसंबर से पंजीकरण शुरू हो जाएगा तथा एक महीने के भीतर वास्तविक इस्तेमाल शुरू होने की उम्मीद है। सिन्हा ने बताया कि प्रत्यारोपण के लिए अंग ले जाने में समय की पाबंदी होती है। एक निश्चित समय के भीतर अंग को एक शरीर या ‘ऑर्गन बैंक’ से निकालकर प्राप्तकर्ता मरीज के शरीर में लगाना होता है। सड़क मार्ग की तुलना में ड्रोन से इसकी डिलिवरी जल्द और आसान होगी।
उन्होंने बताया कि इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए अस्पतालों में ‘ड्रोन पोर्ट’ बनाये जायेंगे जहाँ ड्रोन के उतरने और उड़ान भरने की विशेष सुविधा होगी। इसके अलावा हवा में विशेष ‘एयर कॉरिडोर’ बनाये जायेंगे। इस मार्ग से अंगों को कम से कम समय में एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल पहुंचाया जा सकेगा।