भक्तों के स्नान से जुड़ी अनोखी कहानी
कोलकाता टाइम्स :
जतमाई छत्तीसगढ़ के प्रमुख तीर्थ और पर्यटन स्थलों में से एक है। ये प्रकृति के गोद में बसा हुआ । ये स्थान देवी का एक चर्चित तीर्थ है। जतमाई छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से 65 किमी की दूरी पर स्थित एक प्राकृतिक स्थल है और यह जंगल के बीचों-बीच बना हुआ है। जतमाई अपने कल कल करते प्राकृतिक सदाबहार झरनों के लिए भी प्रसिद्ध है, गरियाबंद जिले में प्रकृति की गोद में बसा, वनों से आच्छादित यह अत्यंत सुंदर स्थान है जहां वर्षा ऋतु में कल कल करते झरने बहते रहते है। यही शहर के प्रदूषण से मुक्त शांत जगहों में से एक जतमाई धाम है। यहां मां जतमाई का प्रसिद्घ मंदिर है जो की पहाड़ों की देवी है। माता के मंदिर के ठीक सटी हुई जलधाराएं उनके चरणों को छूकर चट्टानों से नीचे गिरती हैं। इसमें युवा नहाने से नहीं चूकते हैं। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, ये जलधाराएं माता की सेविकाएं हैं जो देवी मां के भक्तों को नहलाती हैं। यहां आने वाला हर शख्स यही कहता है कि वह जन्नत में आ गया।
वैसे तो यहां साल भर ही भक्तों की भीड़ आती है और मां के दर्शनों का लाभ उठाती है, परंतु प्रतिवर्ष चैत्र और क्वार के नवरात्र में मेला भी लगता है। जतमाई में दूर दूर से लोग माता के दर्शन करने आते है तथा पिकनिक का भी आनंद उठाते है। जतमाई वनों के मध्य में स्थित होने के कारण एक खूबसूरत पिकनिक स्थल के रूप में प्रसिद्व है। यहां के झरने लोगों के मन मोह लेते है और लोग झरने में भीगने से आपने आप को रोक नहीं पाते हैं। जतमाई से लगा हुआ घटारानी भी जतमाई की तरह ही एक प्राकृतिक पर्यटन स्थल है। यहां भी जतमाई की तरह ही झरने बहते है और मां घटारानी का मंदिर है, जतमाई के पास ही एक छोटा सा बांध भी है जिसे पर्यटक देखना नहीं भूलते।