January 19, 2025     Select Language
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डॉक्टर से बच्चे का डर? जानें कारण और इस डर को दूर करने के उपाय

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कोलकाता टाइम्स :

च्चे की डॉक्टर से डरने की सबसे बड़ी वजह सूई होती है। दरअसल, बच्चे दवाई खाने में आनाकानी करते हैं। बच्चे को जल्दी आराम हो इसलिए डॉक्टर दवा को इंजेक्शन के माध्यम से देने का प्रयास करते हैं। बस यही सूई का डर उनके मन में बैठ जाता है और वह डॉक्टर के पास जाने से मना करते हैं।

डॉक्टर बीमारी में कम से कम तीन दिनों की दवा देते हैं और पेरेंट्स को कहते हैं कि एक भी बार भी दवा छूटनी नहीं चाहिए। ऐसे में बच्चा 3 दिनों तक खुद को कड़वी दवाओं के साथ बंधा हुआ महसूस करता है। इसलिए वह चाहते हैं कि डॉक्टर के पास न जाया जाए।

जब बच्चे की दवाईयां चलती हैं तो उसे बाहर का खाना खाने का मना किया जाता है और यह तो आप जानते ही हैं कि बच्चे कितने बड़े चटोरे होते हैं। इसलिए वह चाहते हैं कि बुखार घर में ही सही हो जाए और उनका फास्ट फूड भी चलता रहे।

इन तरीको से दूर करें बच्चे का डर

कई बार माता-पिता को बच्चे की देखभाल के लिए उनके दादा-दादी या किसी अन्य की जरूरत होती है। ऐसे में वो ही बच्चों को डॉक्टर के पास भी ले जाते हैं। लेकिन अगर पहली या दूसरी बार बच्चा माता-पिता के साथ डॉक्टर के पास जाता है तो वो थोड़ा सहज महसूस करता है। इसके पीछे एक वजह यह भी है कि जब बच्चे के माता-पिता डॉक्टर के साथ (जो कि एक अनजान इंसान) सहज है तो बच्चा भी उनके साथ खुद को सुरक्षित महसूस करता है।

अपने बच्चों को डॉक्टर के पास ले जाने से पहले उन्हें इस बारे में बताएं। बच्चों के लिए एक खिलौने वाली डॉक्टर किट लें और सफेद लैब कोट लें। इसके बाद बच्चों के साथ डॉक्टर और मरीज का खेल खेलें। बच्चे को मरीज और खुद को डॉक्टर बनाएं। बच्चों को मुंह खोलने, जीभ निकालने, तेज सांस लेने आदि के लिए कहें। इस तरह आप बच्चों को खेल खेल में डॉक्टर के बारे में बता सकते हैं।बच्चों को अलग बेड पर लिटा कर चेकअप करने से अच्छा है कि माता-पिता की गोद में ही बच्चों का चेकअप करें। बच्चों को माता-पिता से अलग ना करें। अपने माता-पिता की गोद में बच्चा काफी सहज महसूस करता है। इसके अलावा जब डॉक्टर उन्हें छूता है चेकअप के लिए तो काफी असुरक्षित हो जाते हैं लेकिन जब वह माता-पिता के पास रहते हैं तो उन्हें यकीन होता है कि वो पूरी तरह सुरक्षित हैं।

बच्चों जब डॉक्टर के पास जाने से मना करे तो उसे कभी यह ना कहें ‘डरो मत’, ‘कुछ नहीं होगा’, ‘रो मत’। इसकी जगह उनसे कहें कि आप जानते हैं कि डॉक्टर के पास उन्हें बिल्कुल अच्छा नहीं लगता लेकिन यह दो मिनट का काम है हम तुरंत वापस आ जाएंगे। उन्हें आश्वस्त करें कि आप पूरा टाइम उनके साथ ही रहेंगे। ज्यादातर बच्चे इंजेकशन के डर से डॉक्टर के पास नहीं जाना चाहते हैं। ऐसे में जब तक आप कंफर्म ना हो तब तक बच्चों से कभी यह ना कहें कि तुम्हें इंजेकशन नहीं लगेगा।   

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